खेड़कीदौला में संचालित टोल प्लाजा होगा खत्म
टीम यह भी तय करेगी कि जिस जगह पर टोल प्लाजा बनाया जाना है वहां पर रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम कॉरिडोर का स्टेशन बनाने में परेशानी तो नहीं आएगी।
ज्यादा संख्या में गुजरते हैं भारी वाहन
पिछले महीने एनएचएआई ने पचगांव में लगातार सात दिनों तक सर्वे कराया था ताकि पता चल सके कि पीक आवर के दौरान दिल्ली-जयपुर हाईवे से औसतन कितने वाहन निकलते हैं।
कितने लेन का बनेगा टोल प्लाजा?
ऐसे में बूथ आधारित कम से कम 30 लेन का टोल चाहिए जबकि एचएसआइआइडीसी से एनएचएआई को केवल 28 एकड़ जमीन मिली है। इतने में अधिक से अधिक 28 लेन का ही टोल प्लाजा बन सकता है।
द्वारका एक्सप्रेसवे चालू होने के बाद भी खेड़कीदौला में दबाव
द्वारका एक्सप्रेसवे चालू होने से पहले खेड़कीदौला टोल प्लाजा से प्रतिदिन औसतन 85 हजार वाहन निकलते थे जबकि अब 60 से 65 हजार वाहन निकलते हैं। इसके बाद भी टोल प्लाजा पर पीक आवर के दौरान यानी सुबह आठ बजे से 11 बजे तक एवं शाम पांच बजे से रात नौ बजे तक ट्रैफिक का दबाव रहता है।
खेड़कीदौला टोल प्लाजा हटने से लगेंगे विकास को पंख
खेड़कीदौला टोल प्लाजा की वजह से आइएमटी मानेसर, सेक्टर-37, सेक्टर-34, कादीपुर, बसई एवं बेगमपुर खटोला औद्योगिक क्षेत्रों में विकास काफी प्रभावित है। इसके हटने से इन इलाकों में जहां विकास को पंख लगेंगे।