यह रिपोर्ट मंत्रालय ने अब तक सार्वजनिक नहीं की है। सूत्र बताते हैं कि सर्वे रिपार्ट के मुताबिक खेड़कीदौला टोल प्लाजा से काफी कम वाहन पचगांव से गुजरते हैं, लेकिन खेड़कीदौला टोल प्लाजा के मुकाबले पचगांव इलाके से भारी वाहन अधिक निकलते हैं।
पैसेंजर कार यूनिट (पीसीयू) के अनुसार ट्रक को साढ़े चार यूनिट, बस को तीन यूनिट, कार को एक यूनिट एवं बाइक को आधा यूनिट माना जाता है। इस हिसाब से पचगांव से खेड़कीदौला टोल प्लाजा के मुकाबले पचगांव से वाहन अधिक निकलते हैं।

कितने लेन का बनेगा टोल प्लाजा?

ऐसे में बूथ आधारित कम से कम 30 लेन का टोल चाहिए जबकि एचएसआइआइडीसी से एनएचएआई को केवल 28 एकड़ जमीन मिली है। इतने में अधिक से अधिक 28 लेन का ही टोल प्लाजा बन सकता है।

इसे देखते हुए मंत्रालय ने बूथलेस टोल प्लाजा बनाने को कहा है। बूथलेस टोल प्लाजा में 12 से 15 लेन की ही आवश्यकता पड़ेगी। द्वारका एक्सप्रेसवे का टोल प्लाजा बूथलेस बनाया गया है। इसी तर्ज पर खेड़कीदौला टोल प्लाजा बनाया जाएगा।

द्वारका एक्सप्रेसवे चालू होने के बाद भी खेड़कीदौला में दबाव

द्वारका एक्सप्रेसवे चालू होने से पहले खेड़कीदौला टोल प्लाजा से प्रतिदिन औसतन 85 हजार वाहन निकलते थे जबकि अब 60 से 65 हजार वाहन निकलते हैं। इसके बाद भी टोल प्लाजा पर पीक आवर के दौरान यानी सुबह आठ बजे से 11 बजे तक एवं शाम पांच बजे से रात नौ बजे तक ट्रैफिक का दबाव रहता है।

इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि केवल 25 लेन का टोल प्लाजा है। दोनों तरफ इतनी जगह नहीं है कि लेनों की संख्या बढ़ाई जा सके। एनएचएआई के अधिकारी का कहना है कि सोमवार या मंगलवार को संयुक्त टीम के दौरे के बाद पचगांव में टोल पलाजा बनाने की कार्यवाही तेज कर दी जाएगी। दो से तीन महीने के भीतर टोल प्लाजा तैयार हो जाएगा।

खेड़कीदौला टोल प्लाजा हटने से लगेंगे विकास को पंख

खेड़कीदौला टोल प्लाजा की वजह से आइएमटी मानेसर, सेक्टर-37, सेक्टर-34, कादीपुर, बसई एवं बेगमपुर खटोला औद्योगिक क्षेत्रों में विकास काफी प्रभावित है। इसके हटने से इन इलाकों में जहां विकास को पंख लगेंगे।

वहीं टोल प्लाजा से गुजरने वाले दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात एवं मध्य प्रदेश के लाखों लोगों को ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी।