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गोरखपुर
संघ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा (ईएसई) में आर्थिक रूप से कमजोर (ईडब्लूएस) वर्ग से चयनित सिद्धार्थ कुमार सिंह के मामले में जिलाधिकारी गोरखपुर को मिली जांच पूरी हो गई है। जांच में गोरखपुर में भूखंड को लेकर लगे आरोप सही पाए गए हैं। जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश ने संचार मंत्रालय दूरसंचार विभाग और महराजगंज के जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेज दी है।
एक शिकायत पर इस परीक्षा के नोडल संचार विभाग ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर मामले की जांच के निर्देश दिए थे। डीएम ने एडीएम सिटी अंजनी सिंह से मामले की जांच कराई जिसमें पाया गया कि सिद्धार्थ के माता-पिता के पास गोरखपुर के महादेव झारखंडी टुकड़ा नंबर तीन 829.75 वर्ग मीटर और करीब 900 वर्ग मीटर में भूखंड है।
महराजगंज जिले के निचलौल तहसील से सिद्धार्थ के नाम ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र आठ अप्रैल, 2022 व 21 अगस्त, 2023 में बनवाया गया था। 829.75 वर्ग मीटर आकार वाली संपत्ति में लगभग 5000 वर्ग फीट में मकान भी बना है।
ईडब्लूएस के मानकों में है कि ग्रामीण क्षेत्र में पांच एकड़ से अधिक एवं नगर निगम अधिसूचित क्षेत्र में एक हजार वर्ग फीट से अधिक का भूखंड या फ्लैट नहीं होना चाहिए। किसी ने संचार विभाग में यह शिकायत की गई थी कि 17 हजार वर्ग फीट से अधिक जमीन सिद्धार्थ के माता-पिता के नाम गोरखपुर में है।
महराजगंज प्रशासन लेगा फैसला
गोरखपुर जिला प्रशासन की ओर से यह रिपार्ट संचार विभाग व महराजगंज जिला प्रशासन को भेज दी गई है। महराजगंज जिले से ही ईडब्लूएस प्रमाण पत्र जारी किया गया था। प्रमाणपत्र को लेकर फैसला भी वहीं होना है। एडीएम सिटी अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि संचार विभाग से एक शिकायत के आधार पर रिपोर्ट मांगी गई थी। जांच के बाद रिपोर्ट भेज दी गई है।