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गोरखपुर
शहर की सीमा से दूर जंगल कौड़िया, पीपीगंज जैसे क्षेत्रों में अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई कर रहे गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के खुद के कार्यालय के पास ही उनकी कीमती संपत्ति पर कब्जा हो जा रहा है।
जीडीए की ग्रुप हाउसिंग योजना वसुंधरा एवं लोहिया एन्क्लेव में 30 करोड़ से अधिक लागत से बने ज्यादातर यूटिलिटी रूम पर वर्तमान में कब्जा है। जो बचे हैं उन्हें भी कब्जाने को लेकर दबंगों में होड़ मची है। यूटिलिटी रूम पर कब्जा जमाने वालों में कई कालोनी के ही आवंटी हैं तो कुछ बाहरी।
कुछ यूटिलिटी रूम में तो देर रात तक शराब पार्टी चलती है। कई बार बवाल भी हो चुका है। ऐसे में जानकारी के बाद भी प्राधिकरण की चुप्पी किसी भी दिन बड़ी घटना की वजह बन सकती है। कब्जा जमाने वाले कई लोगों ने इसका स्वरूप भी बदलवा दिया है।
कोई भीतर से नवीनीकरण कराकर इसे रहने के उपयोग में ला रहा है तो कई ने कार्यालय या फिर बैठकी के अड्डे के रूप में इसे विकसित कर दिया है। कई इसका इस्तेमाल स्टोर रूम के तौर पर भी कर रहे हैं तो कुछ ने सिर्फ ताला लगाकर अपना अधिकार जमा रखा है। दो साल पहले वर्ष 2023 में भी यूटिलिटी रूम के कब्जे का मामला गरमाया था, पर उस समय भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पाने की वजह से कब्जेदारों का हौसला और बढ़ गया।
वसुंधरा एन्क्लेव फेज एक व दो और लोहिया एन्क्लेव में कुल 324 यूटिलिटी कक्ष का निर्माण किया गया है, लेकिन इसमें से 22 का ही आवंटन हो सका है। वर्तमान में बाकी में से ज्यादातर पर कब्जा है। प्राधिकरण ने करीब एक दशक पहले समाजवादी सरकार के समय मध्यम वर्ग के लोगों की आवासीय जरूरतों को पूरा करने के लिए समाजवादी एफोर्डेबल हाउसिंग के तहत ग्रुप हाउसिंग योजना में यूटिलिटी रूम का निर्माण कराया था। मकसद था कि इसे बेचकर प्राधिकरण कुछ धनराशि एकत्र कर लेगा, जिससे फ्लैट अपेक्षाकृत कम कीमत पर दिए जा सकेंगे।
हर ब्लाक में चार यूटिलिटी रूम, 13 लाख कीमत
जीडीए ने हर ब्लाक में चार यूटिलिटी रूम का निर्माण कराया है। ये रूम दो तरह के हैं। एक में शौचालय व बाथरूम की सुविधा है तो दूसरा बिना इन सुविधाओं के बनाया गया है। वसुंधरा एनक्लेव फेज एक व दो में 160 यूटिलिटी रूम हैं, जिनमें से 22 का आवंटन किया गया है।
वहीं, लोहिया एन्क्लेव में 164 यूटिलिटी रूम बनाए गए हैं। आवंटन के लिए विज्ञापन निकाला गया था, लेकिन सिर्फ 12 लोगों ने पंजीकरण कराया भी, एक ने धनराशि वापस ले ली। हालांकि हाई कोर्ट से स्टे के कारण किसी को इसका आवंटन नहीं हो सका।
आवंटन में योजना के आवंटियों को प्राथमिकता दी गई थी। इसका आवंटन कराकर लोग स्टोर रूम, सर्वेंट क्वार्टर या अन्य कार्यों के लिए उपयोग कर सकते थे। योजना लांच करने के समय प्रत्येक यूटिलिटी रूम की कीमत करीब 13 लाख रुपये तय की गई थी।