सवाल यह उठता है कि किसी देश की सीमा में किसी देश की कंपनी द्वारा हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया जा रहा हो और उस देश से इसकी जानकारी साझा नहीं की जाये यह कैसे संभव है। नेपाल सरकार के गृह मंत्रालय के सुरक्षा महाप्रमुख राम चंद्र तिवारी ने गृह मंत्रालय में इस मामले में कोई जानकारी नहीं होने की बात कही है, जबकि नेपाल प्रहरी धनुषा जिला एसपी नरहरि रेग्मी ने बताया कि हमारे पास कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। इसकी जांच कर रहे हैं।
वहीं, इस मामले में मधुबनी के डीएम अरविंद कुमार वर्मा ने कहा कि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है कि यह ड्रोन है। नेपाल के अधिकारियों से भी संपर्क किया गया उन्हें भी इसकी जानकारी नहीं है। जिला प्रशासन एसएसबी के संपर्क में है। एसएसबी ने एयरफोर्स कमांड को भी सूचना दी है। यह ऑब्जेक्ट सेटेलाइट भी हो सकता है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं है। लोगों को पैनिक होने की आवश्यकता नहीं है। जांच चल रही है।
दूसरी ओर, एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट विवेक ओझा का कहना है कि इसकी सूचना उच्च अधिकारियों और एयरफोर्स मुख्यालय, दिल्ली और दरभंगा को दी गई है। जांच चल रही है।
एसएसबी मुजफ्फरपुर सेक्टर मुख्यालय के डीआईजी सरोज ठाकुर ने मोबाइल पर पूछे जाने पर बताया कि ड्रोन होने की हम पुष्टि नहीं करते हैं। मामलें की जांच हेतु जांच एजेंसी को करना है।
बता दें कि सोमवार की देर शाम सीमावर्ती जयनगर समेत आसपास के क्षेत्रों में पश्चिम से पूर्व की ओर एक साथ दर्जनों से अधिक ड्रोन जैसी चीज आकाश में देखी गई थी। दूसरी ओर, ड्रोन की सूचना पर मधुबनी जिले से लगने वाली भारत नेपाल 107 किलोमीटर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तैनात एसएसबी ने सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ा दी दी।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी से ठीक पहले इसी तरह के चीज को आसमान पर देखा गया था। जयनगर के रेलवे स्टेशन चौक काली मंदिर के समीप एक चाय दुकानदार सुबह 3 बजे देखने के बाद लोगों को बताया था। उसके कुछ दिन बाद कोरोना महामारी का व्यापक असर देखा गया था।