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दिल्ली
डीटीयू (दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) की शोध रिपोर्ट पहले बता चुकी है कि राजधानी की आबोहवा में व्याप्त सूक्ष्म कण सड़क के नजदीक रहने वाले लोगों की सेहत पर 30 प्रतिशत ज्यादा प्रभाव डालते हैं।
फेफड़े के अंदरुनी हिस्से तक पहुंच रहे प्रदूषित कण
इस शोध रिपोर्ट के अगले हिस्से में नई बात यह सामने आई है कि फेफड़े के अंदरुनी हिस्से (एल्वियोलर) में सबसे ज्यादा सूक्ष्म कण के जमा होते हैं। वयस्क-अधेड़ व बुजुर्ग तो छोड़िए, सूक्ष्म कणों से तीन महीने से लेकर तीन साल आयु के बच्चे के फेफड़े भी सुरक्षित नहीं हैं। शोध यह भी बताता है कि सूक्ष्म कणों का 90 प्रतिशत हिस्सा फेफड़े के अंदरुनी भाग एल्वियोलर में ही जमा होते हैं।
श्वसन तंत्र के दो हिस्सों (ट्रैकिया और ब्रोंकिओल्स) में केवल 10 प्रतिशत सूक्ष्म कण जमा होते हैं। वैसे तो सूक्ष्म कण सभी मौसम में श्वसन तंत्र तक पहुंच रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा कणों का जमावड़ा सर्दी के मौसम में होता है।
यह शोध 2021-22 में रोहिणी सेक्टर-17 के बवाना रोड पर किया गया था। यह शोध इस साल फरवरी महीने में अर्बन क्लाइमेट , एटमोस्फियरिक एनवायरनमेंट, एटमोस्फियरिक पोल्लुशण रिसर्च, केमोस्फीयर और एयर क्वालिटी एटमास्फेयर जैसे अंतरराष्ट्रीय जर्नल व पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुका है।
सड़क के पास रहने वालों को ज्यादा खतरा
डीटीयू के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार मिश्रा, शोधार्थी कनगराज व भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद के सीनियर प्रोफेसर एस. रामचंद्रन ने वायुमंडलीय हवा में सूक्ष्म कणों की उपस्थिति के बारे में शोध किया।
एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजीव कुमार मिश्रा ने बताया कि श्वसन तंत्र व फेफड़े के अंदरुनी हिस्से में सूक्ष्म कणों के जमाव के कारण अस्थमा, सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रटिव पल्मोनरी डिजीज), कैंसर की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है। सड़क के पास 8 घंटे काम करने वाले व्यक्ति और सड़क के पास 24 घंटे रहने वाले निवासियों के लिए सूक्ष्म कणों का जमाव अलग-अलग होता है।
सड़क के पास 8 घंटे काम करने वाले व्यक्तियों के फेफड़ों में सूक्ष्म कणों का जमाव वार्षिक पीएम (पार्टिकुलेटेड मैटर) 2.5 सांद्रता मानकों की तुलना में पांच गुना अधिक होगा। शोधार्थी कनग राज ने बताया कि आठ से लेकर 21 वर्ष आयु वर्ग के लोगों में सर्दी के मौसम में 24 घंटे में फेफड़े के अंदरुनी हिस्से एल्वियोलर में 0.21-0.40 माइक्रो ग्राम सूक्ष्म कण पाए गए।
सरल भाषा में कहें तो इनके फेफड़ों में छह से आठ लाख सूक्ष्म कण जमा पाए गए। तीन माह से लेकर तीन साल के बच्चों की आयु वर्ग की बात करें तो यह 0.05-0.10 माइक्रो ग्राम यानि एक लाख से लेकर दो लाख सूक्ष्य कण बच्चों के फेफड़े के एल्वियोलर हिस्से में पाए गए। गर्मी के मौसम में दो आयु वर्ग में सूक्ष्य कणों की संख्या कम पाई गई। 8-21 आयु वर्ग में 0.20-0.27 माइक्रो ग्राम और तीन महीने से तीन साल के बच्चों में यह संख्या 0.05-0.07 पाई गई।