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नई दिल्ली
टैक्सी बुक कर चालकों की हत्या करने के चार मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पैरोल जंपर को क्राइम ब्रांच की टीम ने गिरफ्तार किया है। आरोपित कुख्यात अजय लांबा गिरोह का सदस्या था, जिसने अपने साथियों के साथ मिलकर 2001 में दिल्ली और उत्तराखंड में कैब ड्राइवरों से जुड़ी चार लूट-सह-हत्या की वारदातों को अंजाम दिया था।
बताया गया कि वह पिछले 15 वर्षों से फरार था, जिसकी पहचान यूपी शाहजहांपुर के धीरेंद्र सिंह तोमर के रूप में हुई है जो अपनी पहचान बदल कर बरेली में अपने रिश्तेदार के यहां चालक के रूप में काम कर रहा था।
उपायुक्त हर्ष इंदौरा के मुताबिक, 17 मार्च 2001 को थाना न्यू अशोक नगर में एक पीसीआर काल मिली थी कि दो पुरुषों के शव बी-2, मयूर विहार फेज-III के पास एक डंप यार्ड में पड़े हैं। पुलिस ने तुरंत दोनों को एलबीएस अस्पताल में भर्ती कराया, जहां डाक्टरों ने एक व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया, जबकि दूसरा बच गया।
थाना न्यू अशोक नगर में मामला दर्ज किया गया। जांच के दौरान, दो आरोपितों धीरेंद्र और दिलीप नेगी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और शेष दो आरोपित अजय लांबा और धीरज को पीओ घोषित कर दिया गया। एक अक्टूबर 2007 को, दोनों आरोपितों को अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
वहीं, तीन नवंबर 2010 को, आरोपित धीरेंद्र को एक महीने के लिए पैरोल पर रिहा किया गया थे। हालांकि उसने आत्मसमर्पण नहीं किया और फरार हो गया। इंस्पेक्टर राकेश कुमार के नेतृत्व में टीम ने धीरेंद्र को पकड़ने के लिए जानकारी जुटाई। जांच में पता चला कि भगोड़ा एकता नगर, बरेली में अपने एक रिश्तेदार के यहां ड्राइवर के तौर पर काम कर रहा है और उसने अपना नाम बदलकर राजन सिंह रख लिया है। टीम बरेली पहुंची और जाल बिछाते हुए आरोपित को गिरफ्तार कर लिया।
तीन टैक्सी चालकों की हत्या कर पहाड़ों से फेंक दिए थे शव
पूछताछ में आरोपित धीरेंद्र ने बताया कि घटना के समय वह 19 वर्ष का था। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर जयपुर से दिल्ली के लिए टैक्सी किराए पर ली थी, जहां उसने अपने साथियों के साथ मिलकर ड्राइवर और सह-यात्री (जो समय पर उपचार मिलने से बच गया था) की हत्या कर दी और उसका वाहन लूट लिया था। आगे उसने बताया कि उसने गिरोह के साथ अल्मोड़ा, हल्द्वानी और लोहाघाट, उत्तराखंड में इसी तरह टैक्सी चालकों की हत्या कर उनका शव पहाड़ों से फेंक दिया था।
टैक्सी चालक की हत्या कर नेपाल में बेच देते थे वाहन
गिरोह का काम करने का तरीका अलग-अलग जगहों से टैक्सियां किराए पर लेना, ड्राइवरों की हत्या करना, वाहनों को लूटना और बाद में उन्हें नेपाल में बेचना था। यह भी पता चला कि वह अपने साथियों के साथ हत्या के चार मामलों में शामिल था, लेकिन उसके साथी अजय और धीरज कभी गिरफ्तार नहीं हुए और दोनों को 17 जुलाई 2001 को पीओ घोषित किया गया था।