पूछताछ में आरोपित धीरेंद्र ने बताया कि घटना के समय वह 19 वर्ष का था। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर जयपुर से दिल्ली के लिए टैक्सी किराए पर ली थी, जहां उसने अपने साथियों के साथ मिलकर ड्राइवर और सह-यात्री (जो समय पर उपचार मिलने से बच गया था) की हत्या कर दी और उसका वाहन लूट लिया था। आगे उसने बताया कि उसने गिरोह के साथ अल्मोड़ा, हल्द्वानी और लोहाघाट, उत्तराखंड में इसी तरह टैक्सी चालकों की हत्या कर उनका शव पहाड़ों से फेंक दिया था।

टैक्सी चालक की हत्या कर नेपाल में बेच देते थे वाहन

गिरोह का काम करने का तरीका अलग-अलग जगहों से टैक्सियां किराए पर लेना, ड्राइवरों की हत्या करना, वाहनों को लूटना और बाद में उन्हें नेपाल में बेचना था। यह भी पता चला कि वह अपने साथियों के साथ हत्या के चार मामलों में शामिल था, लेकिन उसके साथी अजय और धीरज कभी गिरफ्तार नहीं हुए और दोनों को 17 जुलाई 2001 को पीओ घोषित किया गया था।