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पुणे
पुलिस ने पुणे में फर्जी काल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। इस फर्जी काल सेंटर के जरिये अमेरिका नागरिकों को गिरफ्तारी की धमकी देकर उनसे रोजाना औसतन 25 लाख रुपये से अधिक की उगाही की जाती थी।
पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया
अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि इस मामले में पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है।अधिकारियों ने बताया कि ‘मैग्नेटेल बीपीएस एंड कंसल्टेंट्स एलएलपी’ नामक फर्जी कॉल सेंटर अगस्त 2024 से खराडी इलाके में चलाया जा रहा था। रात की पाली में काम करने के लिए एक दर्जन महिलाओं सहित 120 से अधिक ‘कॉलिंग एजेंट’ को काम पर रखा गया था। कई एजेंटों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
छापेमारी में 64 लैपटाप और 41 मोबाइल फोन जब्त
खुफिया सूचना के आधार पर पुणे पुलिस की अपराध शाखा ने शुक्रवार और शनिवार की मध्यरात्रि के बाद कॉल सेंटर पर छापा मारा। छापेमारी में 64 लैपटाप और 41 मोबाइल फोन जब्त किए गए। कई लैपटॉप में संदिग्ध एप, वीपीएन सॉफ्टवेयर और हजारों अमेरिकी नागरिकों के संपर्क नंबर पाए गए।
तीन अन्य संदिग्ध फरार
गिरफ्तार आरोपितों की पहचान राजस्थान के सरजीत सिंह, गिरावत सिंह शेखावत और गुजरात के अभिषेक अजयकुमार पांडे, श्रीमय परेश शाह, लक्ष्मण अमरसिंह शेखावत और एरोन अरुमान क्रिश्चियन के रूप में हुई है। तीन अन्य संदिग्ध फरार हैं। उन्हें पकड़ने के लिए टीमें गठित की गई हैं।
पुणे पुलिस के संयुक्त पुलिस आयुक्त रंजन कुमार शर्मा ने कहा, आरोपित अमेरिकी नागरिकों से संपर्क कर दावा करते थे कि उनके खातों का दुरुपयोग मादक पदार्थ तस्करी या किसी अन्य अपराध के लिए किया गया है। फिर वे पीड़ितों को गिरफ्तार करने की धमकी देते थे और उन्हें गिफ्ट कार्ड खरीदने के लिए मजबूर करते थे, जिसका बाद में आरोपित निजी लाभ के लिए इस्तेमाल करते थे।
कॉलर मास्किंग सॉफ्टवेयर का उपयोग कर ठगी
आरोपितों और उनके एजेंटों ने कॉलर मास्किंग साफ्टवेयर का उपयोग किया। प्रारंभिक जांच का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि फर्जी काल सेंटर ने कथित तौर पर ‘डिजिटल अरेस्ट’ के माध्यम से अमेरिकी नागरिकों से प्रतिदिन 30 हजार से 40 हजार डालर (25 लाख रुपये से अधिक) की उगाही की।
‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी का तरीका
ज्यादातर वरिष्ठ नागरिकों और सेवानिवृत्त व्यक्तियों को निशाना बनाया गया। ‘डिजिटल अरेस्ट’ ठगी का तरीका है। इसमें ठग वीडियो काल या आडियो काल के जरिए खुद को सरकारी अधिकारी के तौर पर पेश करते हैं और अपने शिकार यानी पीडि़त को झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देते हैं।