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जागरण संवाददाता, ग्रेटर नोएडा। यमुना प्राधिकरण ने भूलेख विभाग के डाटा का डिजिटलीकरण कर दिया है।आवंटी और किसानों के लिए यह डाटा अब आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। इस डाटा को प्राधिकरण जिला प्रशासन के विभागों के साथ भी एक सप्ताह में लिंक कर देगा।
प्राधिकरण में जमीन से संबंधित दस्तावेजों के लिए लोगों को प्राधिकरण या प्रशासन के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। उन्हें वेबसाइट पर यह जानकारी उपलब्ध हो जाएगी। इसके साथ ही डाटा के डिजिटलीकरण से इसमें किसी तरह के फर्जीवाड़े, हेरफेर की संभावना भी नहीं रहेगी।
भूलेख विभाग का डिजिटल डाटा तैयार
प्राधिकरण को जमीन से जुड़े रिकॉर्ड में हेराफेरी, फाइल के गुम होने की शिकायतें मिलती थी। इसके साथ ही भूलेख विभाग से जुड़े दस्तावेज के लिए लोगों की कतार लगती थी। इसके समाधान के लिए प्राधिकरण ने भूलेख विभाग का डिजिटल डाटा तैयार कराया है। इसमें जमीन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे भूखंड का विवरण, मालिकाना हक, रजिस्ट्री की स्थिति, म्यूटेशन, भूमि उपयोग, नक्शा आदि होंगे। यह डाटा माउस के एक क्लिक पर लोगों को उपलब्ध होगा।
अधिकारी भी अपने कंप्यूटर पर आसानी से किसी भी आवंटी, किसान से जुड़े भूलेख की स्थिति को देख सकेंगे। इससे कार्य की दक्षता बढ़ने के साथ पारदर्शिता आएगी। दस्तावेजों की सत्यता की जांच त्वरित गति से हो सकेगी।
नई पहल से म्यूटेशन, विरासत, लीज रिन्यूअल, ट्रांसफर आदि प्रक्रिया ऑनलाइन करना संभव होगा। फर्जीवाड़े और दोहरी रजिस्ट्री जैसी शिकायतों पर रोक लगेगी।सीईओ डा. अरुणवीर सिंह ने बताया कि भूलेख विभाग के डाटा का डिजिटलीकरण किया गया है।इसे जिला प्रशासन के पोर्टल से भी जोड़ा जाएगा। इससे पारदर्शिता के साथ लोगों को जानकारी हासिल करने में सुविधा होगी।
मोबाइल फोन पर भी मिलेगी सुविधा
वेबसाइट के अलावा मोबाइल पर भी प्राधिकरण भूलेख विभाग का डाटा उपलब्ध कराएगा। इसे मोबाइल एप से जोड़ा जाएगा ।लोग अपने स्मार्ट फोन पर भी इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे।
प्राधिकरण भूलेख, बिल्डिंग प्लान स्वीकृति, पूर्णता प्रमाण पत्र समेत प्राधिकरण से जारी होने वाली विभिन्न अनुमति की प्रक्रिया को भी एक ही पोर्टल पर देने का प्रयास कर रहा है। इससे रियल एस्टेट कंपनियों को भी फायदा होगा। परियोजनाओं में पारदर्शिता के अलावा खरीदारों को भूखंड की स्थिति की जानकारी मिलेगी।