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बुलंदशहर
कुछ वर्ष पहले तक आम धारणा थी, कि थायराइड की बीमारी शरीर में आयोडीन की कमी से होती है, लेकिन अब बिगड़ता खानपान और बदलती जीवनशैली भी इसका कारण बन रही है। पिछले दस वर्ष में थायराइड के मरीजों में 30 से 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
स्वास्थ्य विभाग के जिला सर्विलांस अधिकारी डा. रमित कुमार सिंह ने बताया कि थायरायड ग्रंथि महिला और पुरुष दोनों के गले में स्थित होती है। थायरयड द्वारा स्रावित हार्मोन चयापचय को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा दिल की धड़कन और कैलरी की खपत को भी कंट्रोल करता है।
अगर किसी व्यक्ति को पाचन से जुड़ी दिक्कत है तो उसे हर वक्त ही थकावट, मसल्स में तनाव, चिड़चिड़ा मूड और वजन में एकदम से बदलाव होते रहते हैं। तो उसको थायराइड की जांच अवश्य करानी चाहिए। थायराइड की बीमारी केवल आयोडीन की कमी से ही नहीं बल्कि अनहेल्दी डाइट और तनाव लेने से होती है।
ऐसे में सबसे पहले अपने खान-पान का ध्यान रखें और कम से कम स्ट्रेस लें। थायराइड के इलाज के लिए डाक्टर से संपर्क करें। डाक्टर जरूरी जांच के बाद दवाएं खाने की सलाह देते हैं। साथ ही साथ नियमित रूप से जांच भी करवाते रहें जिससे अगर ये कंट्रोल में रहा तो दवाएं बंद भी की जा सकती हैं। जिला अस्पताल के सीएमएस डा. प्रदीप राणा ने बताया कि
थायराइड गले में पाई जाने वाली तितली के आकार की एक ग्रंथि होती है। ये सांस की नली की ऊपर होती है। इसी थायराइड ग्रंथि में गड़बड़ी आने से ही थायराइड से संबंधित रोग होते हैं। थायराइड ग्लैंड थायरोक्सिन नाम का हार्मोन बनाती है। ये हार्मोन हमारे शरीर के मेटाबालिज्म से लेकर बाडी में सेल्स को कंट्रोल करने का काम करता है।
अस्पताल की पैथोलाजी लैब में प्रतिदिन 80 से 90 मरीजों की थायराइड की जांच की जा रही है। इसमें 15 से 20 मरीज प्रतिदिन सामने आ रहे हैं। थायराइड के असंतुलन से शरीर सूखता और मोटापा भी आता है। इससे बचने के लिए धूमपान और एल्कोहल को छोड़ दें। चीनी, चावल, आयली फूड का सेवन न करें। मैदा से बनी चीजें खाने से परहेज करें। चाय और कााफी का सेवन कम करें।
बीमारी के कारण
- – अव्यवस्थित लाइफस्टाइल
- – खाने में आयोडीन कम या अधिकता
- – तनाव अधिक लेना
- – वंशानुगत
- – गलत खानपान और देर रात तक जागना
- – डिप्रेशन की दवाइयों लेना
- – डायबिटीज
- – भोजन में सोया उत्पादों का अधिक इस्तेमाल
थायराइड के लक्षण
घबराहट, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, हाथों का कांपना, अधिक पसीना आना, दिल की धड़कन बढ़ना, बालों का पतला होना एवं झड़ना, मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना, ज्यादा भूख लगना, वजन का घटना, महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता, हड्डी में कैल्शियम तेजी से खत्म होना।
बचाव के उपाय
रोजाना योग करना, टहले और एक्सरसाइज करें, रात में हल्दी का दूध पीएं, नारियल तेल से बना खाना खाएं, पर्याप्त मात्रा में नींद लें। भोजन में ज्यादा से ज्यादा फल व सब्जियों को शामिल करें, हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।