इनमें अनाज, मांस-मछली-अंडा, दुग्ध उत्पाद, तेल, फल-सब्जी, दाल, चीनी, मसाला, नान-अल्कोहलिक पेय, फूड एंड वीवरेज, पान-तंबाकू, कपड़ा, फुटवियर, हाऊसिंग, ईंधन, लाइटिंग, घरेलू वस्तु एवं सेवाएं, स्वास्थ्य, परिवहन एवं संचार, मनोरंजन, शिक्षा, पर्सनल केयर आदि सम्मिलित हैं।

188.2 है संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक

ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की महंगाई को मिलाकर संयुक्त उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तय होता है। बिहार में यह 188.2 है। इसे सरलता से समझिए। जिन चीजों और सेवाओं के लिए 2012 में 100 रुपये खर्च किए जा रहे थे, वे अब 188.2 रुपये में उपलब्ध हैं। बिहार के लिए संतोषजनक यह कि इस सूचकांक का राष्ट्रीय औसत 192.6 है।

कृषि बाजार प्रांगणों का हो रहा कायाकल्प

उप मुख्यमंत्री-सह-कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बुधवार को बताया कि राज्य के 21 कृषि बाजार प्रांगणों का चरणबद्ध तरीके से कायाकल्प हो रहा है। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा। बाजारों के आधुनिकीकरण से खरीद-बिक्री की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और प्रतिस्पर्द्धा बढ़ेगी।

ई-नाम योजना का लें फायदा

इसके अलावा केंद्र सरकार की ई-नाम योजना के माध्यम से किसान अपने कृषि उत्पादों को राज्य और देश के अन्य हिस्सों में ऑनलाइन बेच सकते हैं। उन्होंने बताया कि पहले 12 प्रमुख कृषि उत्पादन बाजार प्रांगणों (पूर्णिया के गुलाबबाग, पटना के मुसल्लहपुर, आरा, हाजीपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, गया, बेतिया, दाउदनगर व मोहनियां) के समुचित विकास और आधुनिकीकरण हेतु 748.46 करोड़ रुपये की योजनाएं स्वीकृत हुई हैं।

540.61 करोड़ की योजनाएं

उसके बाद नौ अन्य बाजार प्रांगण (सासाराम, बेगूसराय, कटिहार, फारबिसगंज, जहानाबाद, दरभंगा, किशनगंज, छपरा व बिहटा) के विकास हेतु 540.61 करोड़ रुपये की लागत से योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। इन बाजार प्रांगणों में वेंडिंग प्लेटफार्म, दुकानों का निर्माण, वे-ब्रिज, जल निकासी प्रणाली, प्रशासनिक भवन, श्रमिक विश्राम गृह, अतिथि गृह, मछली बाजार, केला मंडी, आंतरिक सड़कों का निर्माण, सोलर पैनल, कर्मचारी कैंटीन और अपशिष्ट निपटान संयंत्र (कंपोस्टिंग प्लांट) सम्मिलित हैं।