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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के उच्च न्यायालयों में 7.24 लाख से ज्यादा आपराधिक अपीलें लंबित होने पर चिंता जताते हुए उनके शीघ्र निपटारे के लिए उच्च न्यायालयों को रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और आर्टीफिशल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से रिकार्ड का अनुवाद करने का सुझाव दिया है।
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों से इसके साथ ही विभिन्न रिपोर्टों जैसे नेशनल कोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम (एनसीएमएस) द्वारा केस मैनेजमेंट के लिए तैयार की गई बेसलाइन रिपोर्ट, माडल एक्शन प्लान और सुप्रीम कोर्ट में न्यायमित्र की ओर से दिए गए सुझावों को स्वीकार करने का आग्रह किया है।
SC ने सभी हाईकोर्ट को दिए ये निर्देश
सर्वोच्च अदालत ने सभी उच्च न्यायालयों से कहा है कि इन सुझावों पर काम करते हुए आपराधिक अपीलों के शीघ्र निपटारे के लिए चार महीने में एक एक्शन प्लान तैयार करके सुप्रीम कोर्ट में पेश करें। यह भी कहा है कि पेश एक्शन प्लान प्रत्येक उच्च न्यायालय को उपलब्ध कराए जाएं ताकि उच्च न्यायालय दूसरे उच्च न्यायालय द्वारा अपनाई जा रही प्रक्रिया को देखकर सर्वश्रेष्ठ तरीका अपनाए। ये आदेश न्यायमूर्ति अभय एस ओका और उज्जवल भुइयां की पीठ ने जमानत देने की नीति पर स्वत: संज्ञान लेकर की जा रही सुनवाई के दौरान आठ मई को दिये।
इलाहाबाद हाईकोर्ट मे सबसे ज्यादा लंबित मामले
- पीठ ने मामले की सुनवाई में मदद कर रहे न्यायमित्र की ओर से पेश नोट को देखा जिसमें देश भर के उच्च न्यायालयों में लंबित आपराधिक अपीलों का ब्योरा दिया गया था और उनके जल्द निपटारे के लिए विभिन्न सुझाव दिए गए थे।
- पीठ ने आदेश में कहा कि लंबित आपराधिक अपीलों की गंभीरता इसी से जानी जा सकती है कि पेश आंकड़ों के मुताबिक देश भर के उच्च न्यायालयों में कुल 7,24,192 आपराधिक अपीलें लंबित हैं जिसमें सबसे ज्यादा इलाहाबाद हाई कोर्ट में 2,17,702 हैं।
- मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में 1,15,382, पटना हाई कोर्ट में 44,664, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में 79,326, राजस्थान हाई कोर्ट में 56,455, बाम्बे हाई कोर्ट में 28,257 और छत्तीसगढ़ 10,007 आपराधिक अपीलें लंबित हैं।
- पीठ ने कहा कि न्यायमित्र के नोट में इससे निबटने के लिए कई सुझाव दिये गए हैं और उन सुझावों पर उच्च न्यायालयों को जरूर विचार करना चाहिए। पीठ ने कहा कि न्यायमित्र की रिपोर्ट और बेसलाइन रिपोर्ट दोनों में आपराधिक अपीलों में देरी का एक मुख्य कारण केस के रिकार्ड ट्रायल कोर्ट से हाई कोर्ट पहुंचने में देरी होना और दूसरा कारण उस रिकॉर्ड के अनुवाद में देरी होना है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को सुझाव दिया है कि सबसे पहले क्रिमिनल कोर्ट के रिकार्ड का डिजिटलीकरण करें। इसकी शुरुआत सत्र अदालत और विशेष अदालतों से की जा सकती है। इसके अलावा कोर्ट ने न्यायाधीशों के रिक्त पदों को भरने मामलों की सुनवाई के रोस्टर तय करने, सुनवाई की प्रक्रिया अपनाने और कौन से मामलों को सुनवाई में प्राथमिकता दी जानी चाहिए इस पर भी चर्चा की है और सुझाव दिये हैं।