जैश का यह मुख्यालय 2015 से सक्रिय है
बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय सुभान अल्लाह की सेटेलाइट तस्वीरों में ऑपरेशन सिंदूर से पहले इसकी सभी इमारतें सही सलामत दिखाई दे रही हैं, लेकिन ऑपरेशन के बाद इसकी मुख्य इमारत की गुंबद में बड़ा छेद, फैला हुआ मलबा और ध्वस्त इमारतें नजर आ रही हैं। जैश का यह मुख्यालय 2015 से सक्रिय है और यह प्रशिक्षण व विचारधारा का मुख्य केंद्र है।
इसी तरह, लश्कर के गढ़ मुरीदके की सेटेलाइट तस्वीरें मरकज तैयबा पर हमले से पहले और उसके बाद की स्थिति दिखाती हैं। हमले से पहले की तस्वीरों में कई इमारतों वाला एक विशाल परिसर दिखाई देता है, जबकि हमले के बाद की तस्वीरों में इमारतों को व्यापक क्षति दिखाई देती है।
आतंकी संगठनों को तैयार करने में इस मरकज की भूमिका
मध्यरात्रि में पहले दो मिसाइलों से हमला हुआ और उसके 10 मिनट बाद दो और मिसाइलों से हमला हुआ। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि हमले के बाद लोगों में डर फैल गिया, लोग खुले स्थानों में चले गए और पूरी रात इसी तरह काटी।
मरकज तैयबा को व्यापक नुकसान हुआ
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत द्वारा मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात किए गए मिसाइल हमले में लश्कर-ए-तैयबा के प्रशिक्षण केंद्र मरकज तैयबा को व्यापक नुकसान हुआ।
पाकिस्तान के पास युद्ध को जारी रखने के लिए वित्तीय कमी
सेवानिवृत्त मेजर जनरल हरीश जीत सिंह ने कहा है कि भारतीय और पाकिस्तानी सेनाओं के बीच कोई तुलना नहीं है। पाकिस्तान के पास युद्ध को जारी रखने के लिए गोला-बारूद, वित्तीय ताकत और जनशक्ति की भारी कमी है। उन्होंने भारतीय सशस्त्र बलों के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की प्रशंसा की और कहा, “भारत द्वारा किए गए सटीक हमले पाकिस्तान पर नहीं थे। हमने केवल उनके आतंकवादी शिविरों और मुख्यालयों को नष्ट किया है। वे और हम दोनों यह जानते हैं।”
उन्होंने कहा कि उनके 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए हैं। यह हमला सिर्फ उनके आतंकी ठिकानों पर था, जहां उन्हें प्रशिक्षित किया गया, जहां उन्हें कट्टरपंथी बनाया गया। आतंकवादियों को पैदा करने वाली फैक्ट्रियां मदरसों और फर्जी स्वास्थ्य केंद्रों के रूप में थीं।
सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुर्की और चीन के ‘समर्थन’ को छोड़कर पाकिस्तान लगातार अलग-थलग होता जा रहा है। कई देशों ने पाकिस्तान से दूरी बना ली है।
पाकिस्तान 72 घंटे तक युद्ध नहीं झेल सकता
तुर्की की सैन्य गतिविधि का उल्लेख करते हुए उन्होंने पाकिस्तान में तुर्की नौसेना के युद्धपोतों के डाकिंग की ओर इशारा किया। हाल ही में कराची में तुर्किये वायुसेना के सी-130 विमान की लैंडिंग हुई थी। इस पर उन्होंने टिप्पणी की, “पाकिस्तान 72 घंटे तक युद्ध नहीं झेल सकता और इसलिए उसे तुर्किये की मदद की आवश्यकता थी।” उन्होंने इस बात पर भी संदेह व्यक्त किया कि ऐसी मदद कितने समय तक काम आएगी।