Monday, June 23, 2025
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राहुल गांधी को मिली राहत, HC ने नागरिकता को लेकर दायर याचिका की निस्तारित; याची को वैकल्पिक फोरम पर जाने की सलाह

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लखनऊ:लखनऊ उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राहुल गांधी की नागरिकता को चुनौती देने वाली याचिका को निस्तारित करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने याची, एस विग्नेश शिशिर, को यह स्पष्ट निर्देश दिया है कि वे अपनी शिकायत के निवारण के लिए अन्य उपलब्ध विधिक वैकल्पिक उपायों का सहारा ले सकते हैं। इस निर्णय ने राहुल गांधी को एक बड़ी राहत प्रदान की है, जो उनकी नागरिकता को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद को समाप्त करता है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी उल्लेख किया कि केंद्र सरकार याची की शिकायत को निस्तारित करने के लिए कोई निश्चित समय सीमा प्रदान करने में असमर्थ रही है, जिसके कारण इस याचिका को विचाराधीन रखने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। इस प्रकार, न्यायालय ने याची को अन्य विधिक विकल्पों का पता लगाने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया है। दरअसल, एस विग्नेश शिशिर ने राहुल गांधी की नागरिकता पर सवाल उठाते हुए एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी के पास दोहरी नागरिकता है, जो भारतीय कानून के तहत अवैध है। उन्होंने अपने आरोपों के समर्थन में कुछ दस्तावेज भी प्रस्तुत किए थे, जिन पर न्यायालय ने गहन विचार विमर्श किया। हालांकि, न्यायालय ने केंद्र सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन सरकार कोई ठोस समय सीमा नहीं बता पाई, जिसके कारण याचिका को अनिश्चित काल तक लंबित रखना संभव नहीं था। न्यायालय ने अपने आदेश में यह स्पष्ट किया कि नागरिकता जैसे संवेदनशील मुद्दे पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता होती है, और यदि केंद्र सरकार इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा पा रही है, तो याची को अन्य विधिक उपायों का सहारा लेने का अधिकार है। इस निर्णय का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि राहुल गांधी एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती हैं और उनकी नागरिकता पर सवाल उठना एक गंभीर मुद्दा था। इस याचिका के निस्तारित होने से न केवल राहुल गांधी को राहत मिली है, बल्कि यह भी स्पष्ट हो गया है कि न्यायालय इस तरह के मामलों में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा कि याची को अपने आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश करने चाहिए, और यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं, तो उनकी याचिका को खारिज किया जा सकता है। इस प्रकार, यह निर्णय न केवल राहुल गांधी के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि न्यायालय नागरिकता जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कार्रवाई करता है। यह निर्णय भारतीय न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को दर्शाता है, और यह भी स्पष्ट करता है कि न्यायालय किसी भी व्यक्ति के खिलाफ बिना ठोस सबूतों के कार्रवाई नहीं करेगा।

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