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मेरठ
वैसे तो मकान को ठंडा रखने और बिजली बचाने के लिए हम अपने स्तर पर तमाम तकनीकों का उपयोग करते ही रहते हैं। इन्हीं तकनीकों व उपायों में शामिल है वाइट रूफिंग (सफेद छत)। छत को सफेद परत से ढकने या पेंट करने से बिजली की बचत होती है… साथ ही सूर्य की सीधी रोशनी से घर का ताप कम हो जाता है।
अब मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) इस तकनीक को अनिवार्य करने जा रहा है। अब जो भी भवन का मानचित्र स्वीकृत कराने के लिए आवेदन करेगा, उसे इससे संबंधित शपथ पत्र जमा करना होगा। यही नहीं इसके साथ एक निश्चित धनराशि का एफडीआर भी जमा कराया जाएगा। यह शर्त 300 मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले भवन पर लागू होगी।
एनर्जी एफिशिएंट भवन बनाने के लिए भारत सरकार की ओर से समय-समय पर विभिन्न पहल की जाती है। इसी के अंतर्गत भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट स्थापित करने की शर्त मेडा ने लागू कर रखी है। अब मेडा भवनों में वाइट रूफिंग की शर्त भी शामिल करेगा। इस शर्त के साथ ही मानचित्र पास होगा। इसके लिए डिमांड ड्राफ्ट जमा कराया जाएगा। बुधवार को होने जा रही मेडा की बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई जाएगी।
यह है वाइट रूफिंग तकनीक
सूर्य के ताप से बचाने व गर्मी की खपत को कम करने के लिए इस तकनीक का उपयोग शुरू किया गया है। इसमें छत की सतह को सफेद या हल्के रंग की सामग्री से ढका जाता है या फिर छत पर सफेद पेंट किया जाता है। इसलिए इसे वाइट रूफिंग यानी सफेद छत कहते हैं। इससे भवन की उम्र बढ़ती है। भवन को वातानुकूलित बनाने की प्रक्रिया में आने वाले खर्च में कमी आती है।