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मुजफ्फरपुर
जिले में सोमवार को सत्तू संक्रांति (सतुआनी ) का पर्व मनाया जारहा है। इसके साथ ही मेष राशि में सूर्य के प्रवेश होने पर खरमास की भी समाप्ति हो जाएगी। इस दिन लोग अपने-अपने कुलदेवताओं का पूजन करेंगे। उसके बाद आटा, सत्तू, आम्रफल के साथ शीतल पेय जल, पंखा अर्पित करेंगे। इस मास का एक नाम मधुमास भी है।
पितरों को तर्पण का महत्व
मान्यता है कि इस दिन अपने पितरों को तर्पण कर उनके निमित यथा शक्ति दान करते हैं। इसके बाद बैसाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि से भगवान बद्रीनाथ की यात्रा की शुरुआत होगी।
बैसाखी स्नान का महत्व
पंडित प्रभात मिश्र, पंडित नवल किशोर मिश्र, पंडित रवि झा का कहना है कि पद्म पुराण में बैसाखी के दिन स्नान का विशेष महत्व बताया गया है।
सूर्य के मेष राशि में परिवर्तन करने यानि मेष संक्रांति होने के कारण यह ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। अश्विन नक्षत्र, मेष राशि में सूर्य सोमवार की सुबह 5:01 मिनट में प्रवेश करेंगे।
सतुआनी को लेकर जिले में चहल-पहल तेज
सौर नववर्ष का आरंभ भी इसी दिन से होता है। इधर सतुआनी को लेकर जिले में चहल-पहल तेज हो गई है। बाजारों में हर चौक-चौराहों पर चना का सत्तू, जैव का सत्तू और मक्के के जैव की सत्तू की जमकर बिक्री हो रही है।
शहर में उत्तर प्रदेश के रहने वाले भूंजा, सत्तू बचने वालों द्वारा चना, जौ, मक्का सत्तू की जमकर बिक्री हुई। इस दौरान इन सभी दुकानों पर रविवार को देर रात तक भीड़ लगी रही। वहीं, आज भी जमकर बिक्री होने की संभावना है।