लोक नायक अस्पताल में नहीं कोई तैयारी
जीटीबी अस्पताल में पसीने से तर-बतर मरीज
शालीमार गार्डन स्थित गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल की हालत भी अच्छी नहीं है। सुबह से ही मरीज पर्ची बनवाने के लिए लाइन में लग जाते हैं, लेकिन गर्मी से राहत के कोई इंतजाम यहां भी नहीं हैं। सेंट्रल एसी बंद पड़ा है। अधिकांश पंखे खराब हैं। सेंटर फार डायबिटीज के बाहर मरीज और तीमारदार धूप में लाइन में खड़े दिखे। बैठने तक की व्यवस्था यहां नहीं दिखी। पीने के लिए ठंडा पानी भी उपलब्ध नहीं था। इमरजेंसी वार्ड में भी गर्मी से बचाव के कोई खास उपाय नहीं किए गए हैं।
डीडीयू अस्पताल में तैयारियां अधूरी
दिल्ली के पश्चिमी इलाके में स्थित दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) अस्पताल में अब तक हीट स्ट्रोक से संबंधित कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया है, लेकिन अस्पताल प्रशासन सतर्क है। इमरजेंसी वार्ड में कुछ बेड आरक्षित किए गए हैं। फ्लूइड व आइस पैक का इंतजाम किया गया है। हालांकि, अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी अब भी बनी हुई है।
संजय गांधी अस्पताल और बाबा साहेब अस्पताल में हलचल शुरू
मंगोलपुरी के संजय गांधी अस्पताल और रोहिणी स्थित बाबा साहेब अंबेडकर अस्पताल में गर्मी जनित बीमारियों के मामलों में 10 से 15 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। डिहाइड्रेशन, उल्टी-दस्त, एलर्जी और वायरल बुखार के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। लू के संभावित मरीजों के लिए भी अस्पतालों ने व्यवस्था बनानी शुरू कर दी है। संजय गांधी अस्पताल में नर्सिंग स्टाफ और डाक्टरों को विशेष ट्रेनिंग दी गई है। साथ ही फ्रीजर मंगवाकर आइस पैक का इंतजाम किया गया है।
राष्ट्रीय होम्यापैथी संस्थान में व्यवस्था बनानी शुरू
नरेला के राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान में भी टायफाइड और वायरल बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं। नरेला स्थित राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान के प्रभारी डा. सुभाष ने बताया कि इन दिनों टायफाइड, वायरल बुखार, डिहाइड्रेशन पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ी है। इस बीच, हीट वेव या लू के मरीजों के लिए अस्पतालों ने अपनी व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त करनी शुरू कर दी है।
मदन मोहन मालवीय अस्पताल में मिली कमियां
पिछले दो दिनों से पारा 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है। तपती दोपहरी में लोग उमस और गर्मी से परेशान हैं। मौसम में इस बदलाव के चलते बुखार और जुकाम के मामले में बढ़े हैं। पंडित मदन मोहन मालवीय अस्पताल की ओपीडी में एक सप्ताह पहले के मुकाबले जुकाम व बुखार के मरीजों की संख्या में करीब 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।