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बिसौली
तारीख पर तारीख…कहकर नाबालिग ने एसडीएम न्यायालय में फाइल फेंक दी। चंद मिनट को न्यायालय में सन्नाटा छा गया। नाबालिग अपनी भर्राई आवाज में चिल्ला रहा था। घटना के बाद देर शाम तक नाबालिग आरापित थाने में नजरबंद रहा। हालांकि इसके बाद उसे छोड़ दिया गया। बुधवार को एसडीएम न्यायालय में दामिनी फिल्म का डायलाग बोला गया।
पिता की मौत के दो साल से तारीख ले रहे नाबालिग का सब्र का बांध टूट गया। ग्राम डरेला निवासी नाबालिग जब एसडीएम न्यायालय पहुंचा और कार्यवाही के नाम पर केवल उसे तारीख दे दी गई तो वह चिल्ला उठा। मुझे तारीख नहीं न्याय चाहिए। जमकर चिल्लाया। परेशान फरियादी रो रोकर कार्यवाही की मांग कर रहा था। यह ड्रामा करीब पंद्रह मिनट तक चलता रहा। पहले तो सभी चुपचाप यह खड़े देखते रहे। इसके बाद पुलिस को काल करके बुला लिया गया।
वहां पहुंची पुलिस उसे कोतवाली ले गई। नाबालिग आरोपित ने बताया कि मकान की जमीन के बंटवारे को लेकर उसके ही परिवार वालों ने दस साल पहले एसडीएम न्यायालय में मुकदमा दायर कराया था। पहले तो पिता मुकदमा लड़ते रहे। 2023 में उनकी मृत्यु हो गई। उसके बाद परिवार की जिम्मेदारी उसके ऊपर आ गई। उसे अपनी बहन की शादी भी करनी है। अगले माह ही उसकी शादी है। उसका भी तनाव और ऊपर से कार्यवाही के नाम पर केवल तारीख सुनकर उसके सब्र का बांध टूट गया। देर शाम उसे छोड़ दिया गया।
यह घटना पूरी न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाती है। परिवार के बीच संपत्ति के बंटवारे को लेकर चल रहे इस मुकदमे में दस साल के बाद भी निर्णय नहीं पाया है। लंबे समय के चलते एक पक्ष की मृत्यु हो चुकी है। पूरा बोझ नाबालिग कंधों पर है। पिता के बाद आई जिम्मेदारी निभाए या फिर कोर्ट, कचहरी के चककर लगाए। घर में शादी के लिए जवान बहन भी है। ऐसे सैंकड़ों लोग, जिन्हें वर्षो से सिर्फ तारीख मिल रही है, उनके अंदर भी पूरी न्यायिक व्यवस्था को लेकर तमाम अनुत्तरित प्रश्न होगें। इस तंत्र के सामने लाचार हो चुके हैं लोग।
नाबालिग है और पिता की मृत्यु के बाद से परेशान भी है। मानवीय संवेदना के चलते उसे छुड़वा दिया गया है।- प्रबर्धन शर्मा, एसडीएम न्यायिक, बिसौली