खास नहीं दिखा ग्रेप की पाबंदी का असर
नही खर्च कर सके बजट, अब बनाएंगे सड़क
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के तहत नोएडा को प्रदूषण की रोकथाम और जरूरी संसाधन खरीदने के लिए 30 करोड़ रुपये से अधिक का बजट मिला था। प्राधिकरण ने इस बजट का पांच करोड रुपये भी खर्च नहीं किया। अब जो फंड बचा है उससे टूटी और नई सड़कें बनाने की तैयारी है।
निर्माणाधीन इमारतें
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में दाे हजार से अधिक इमारतों का निर्माण कार्य हो रहा है। नियम का पालन यहां शायद ही देखने को मिले। साइटों परिसर में पानी का छिड़काव शायद ही देखने को मिले।
कचरे में लगती आग की घटनाए
सेक्टर-32 स्थित डंपिंग ग्राउंड में पांच दिन से सुलग रही आग से तीन से चार किमी के दायरे में धुआं ही धुआं हैं। ऐसे ही कई जगहों पर क्षेत्र में कचरा डंप किया जाता है और उसको आग के हवाले कर दिया जाता है। गांव और सेक्टरों में भी कचरा जलाने की घटनाएं आमतौर पर देखी जाती हैं। इससे हवा प्रदूषित होती है।
उड़ती धूल
शहर में कई डस्ट फ्री जोन हैं लेकिन वह सिर्फ कागजों पर ही हैं। असल में नोएडा की अधिकांश सड़कों पर धूल उड़ती नजर आती है। मैकेनिकल स्वीपिंग करने वाली मशीन सफाई से ज्यादा धूल उड़ाने का काम करती है। शहर के लोग इस अव्यवस्था को पूर्व में कई बार उजागर भी कर चुके हैं।
भारी यातायात जाम में वाहनों का धुआं
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में लाखों वाहन एक साथ सड़कों पर होते हैं। ट्रैफिक का दवाब भी बढ़ा है। हर घर में निजी वाहन हैं। जितने घर में वयस्क लोग हैं सभी के अपने अलग-अलग वाहन हैं। सार्वजनिक परिवहन की अधिकांश सेक्टरों और गांवों में सुविधा नहीं हैं। 15 से अधिक जाम के स्पाट हैं जहां वाहनों के धुएं से प्रदूषण बढ़ता है।