भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनातनी का असर अब सीधे भारतीय शेयर बाजार पर देखने को मिल रहा है। अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने और रूस से तेल खरीद को लेकर नाराजगी जताते हुए नए शुल्क लागू करने के बाद निवेशकों की धारणा बुरी तरह प्रभावित हुई है। नतीजतन, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने अगस्त के पहले 10 दिनों में ही भारतीय बाजार से लगभग 18 हजार करोड़ रुपये की भारी निकासी कर दी है।
टैरिफ का दबाव, शेयर बाजार में खलबली
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लागू करने के बाद से बाजारों में बेचैनी लगातार बढ़ रही है। और अब रूस से भारत के व्यापार को लेकर अमेरिकी प्रशासन ने 27 अगस्त से एक और अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। इस दोहरे टैरिफ प्रहार से वैश्विक निवेशकों का भरोसा डगमगाने लगा है।
लगातार छठे सप्ताह बाजार में गिरावट
इस कारोबारी माहौल का सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ा है। सेंसेक्स और निफ्टी लगातार छठे हफ्ते कमजोर रहे हैं। निवेशकों की धारणा पर असर डालने वाले अन्य कारणों में भारतीय कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे, रुपये में गिरावट, और बढ़ती महंगाई जैसे घरेलू फैक्टर भी शामिल हैं।
FPI ने छोड़ा भारत का दामन
पिछले महीने जुलाई में FPI की कुल बिकवाली करीब 17,741 करोड़ रुपये रही थी, लेकिन अगस्त के केवल 10 दिनों में ही उन्होंने इसे पार कर लिया है। अब तक की जानकारी के अनुसार, इस महीने FPI द्वारा बाजार से की गई कुल निकासी का आंकड़ा 17,924 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।
वहीं साल 2025 की बात करें, तो अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से 1.13 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की पूंजी निकाल ली है — जो इस साल के लिए एक गंभीर संकेत है।
ट्रेड डील की अनिश्चितता ने बढ़ाई बेचैनी
विश्लेषकों का मानना है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर पहले जो सकारात्मक संकेत आ रहे थे, अब वे ट्रंप प्रशासन की अचानक सख्ती और टैरिफ में बढ़ोतरी के बीच फीके पड़ गए हैं। इस अनिश्चितता ने बाजार की दिशा को बिगाड़ा है और निवेशकों में असमंजस की स्थिति पैदा की है। आने वाले हफ्ते में बाजार की दिशा मुख्य रूप से अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्तों में किसी सुधार, महंगाई के आंकड़ों, कंपनियों के तिमाही नतीजों और विदेशी निवेशकों की गतिविधियों पर निर्भर करेगी।