उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गुरुवार को एक युवक ने घर में फंदा लगाकर जान दे दी। मरने से पहले युवक अपनी मां से यहीं कहता रहा कि मैं कायर नहीं हूं। कभी-कभी हालात ऐसे हो जाते हैं कि कुछ समझ ही नहीं आता। इसके बाद वो कमरे में गया और फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। उसकी बहन और मां का रो-रोकर बुरा हाल है। बहन रो-रोकर कह रही है कि ‘भाई मेरे सम्मान के लिए लड़ते-लड़ते मर गया।’ इस घटना पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
मां खिड़की से चीखती रही, फंदे से झूल गया बेटा
जानकारी के मुताबिक, मां की आंखों के सामने उसके बेटे ने सुसाइड कर लिया। वो खिड़की से चीखती रही, बेटा तू ये क्या कर रहा है? नीचे उतर आ। देखते ही देखते बेटे ने फंदा लगा लिया। मां का आरोप है कि मोहल्लेवालों ने 6 अगस्त को उसे पीटा था। इसके बाद उसे थाने ले गए। वहां पुलिस को पैसे देकर उनसे भी पिटवाया। मैं थाने पहुंची, तब उसे छोड़ा। तब से बेटा परेशान था। इसी वजह से उसने ये कदम उठा लिया।
‘भाई मेरे सम्मान के लिए लड़ते-लड़ते मर गया’
यह पूरा मामला खुल्दाबाद के करबला कस्बे का है। मृतक की बहन का कहना है कि ”मकान मालिक का बेटा और उसके दोस्त मुझे रास्ते में आते-जाते छेड़ते थे, परेशान करते थे। मेरे भाई ने इस बात का विरोध किया तो वो लोग उसे पीटने लगे। उन्होंने तीन चार बार उसकी पिटाई की। 6 अगस्त को पुलिस उन लोगों के कहने पर मेरे भाई को पकड़ कर ले गई। उसके चेहरे से खून निकल रहा था। इसके बाद उसने फंदा लगाकर जान दे दी। वह मेरे सम्मान की लड़ाई लड़ते-लड़ते अपनी जान दे बैठा। वह बहादुर था।
‘मकान मालिक के बेटे की वजह से मेरा बेटा चला गया’
मृतक की मां का कहना है कि ” मैं घरों में चौका बर्तन और खेतों में मजदूरी करती हूं। मेरा पति 9 साल पहले घर छोड़कर चला गया था। तब से मैंने मजदूरी करके अपने बच्चों को बड़ा किया। लेकिन, मकान मालिक के लड़के ने मेरे बेटे की जान ले ली। उसे मरने पर मजबूर कर दिया। वह मेरी बेटी को छेड़ता था। मेरे बेटे ने विरोध किया तो अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसे पीटा। पुलिस के पास गए तो पुलिस ने मदद नहीं की। थाने से भगा दिया गया।अखिलेश यादव ने दी प्रतिक्रिया
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट शेयर कर लिखा, ”भाजपा का तथाकथित नारी वंदन, नारी क्रंदन में बदल गया है। उप्र पुलिस ने अगर न्याय किया होता तो प्रयागराज में बहन की रक्षा करनेवाले एक भाई को दबंगों के हाथों प्रताड़ित-अपमानित होकर आत्महत्या नहीं करनी पड़ती। उप्र में गृह मंत्रालय किसके पास है? दुखद. निंदनीय. शर्मनाक?