रूस में लगभग 130 छोटे शहरों का अस्तित्व संकट में है। हाल ही में रूस सरकार के आदेश पर हुई एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है कि इन शहरों में लगभग 34 लाख लोग रहते थे, लेकिन पिछले दस वर्षों में इनकी आबादी में 3,14,500 से अधिक की कमी आई है। अगले 10-20 वर्षों में ये शहर शायद नक्शे पर भी न रहें।
क्यों खत्म हो रहा है इन शहरों का अस्तित्व?
ये शहर रूस के उत्तरी क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां कोयला, धातु उद्योग और वनों का उद्योग चलता है। कई ऐसे दूर-दराज़ के इलाके भी हैं जहां संसाधनों की कमी और बाहरी निवेश का अभाव है। उद्योगों में मंदी और लोगों का बड़े शहरों की ओर पलायन हो रहा है। युवाओं को यहां रोजगार और मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण उनकी संख्या घटती जा रही है।
किन शहरों पर मंडरा रहा है संकट?
ब्रयांस्क, नोवगोरोड, किरोव और क्रास्नोयार्स्क जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। कुछ शहर जैसे वेरखनी टागिल (सवर्द्लोव्स्क), ट्रुबचेव्स्क (ब्रयांस्क), इंटा (कोमी), केम और मेद्वेज़्येगोर्स्क (कारेलिया), टॉर्जोक (टवर क्षेत्र) में आबादी तेजी से घट रही है। आर्थिक रूप से बेहतर क्षेत्र के भी कुछ छोटे शहर, जैसे मोस्को का रोशल, सकालिन का ओखा, प्सकोव का पोर्खोव और निम्नी नोवगोरोड का ज़ावोल्ज़ये भी खतरे में हैं।
क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
रूस सरकार ने 2025 में इन शहरों के लिए 4 अरब रूबल (लगभग 50 मिलियन डॉलर) का बजट आवंटित किया है। इसके तहत 106 शहरों के लिए मास्टर प्लान तैयार किए जा रहे हैं, जिसमें उपनगरों में बसावट, स्थानीय उद्योगों का विकास और बुनियादी ढांचे में सुधार शामिल है।
हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि हर छोटे शहर को बचाना बहुत महंगा और अप्रभावी हो सकता है। सरकार को उन शहरों की पहचान करनी चाहिए, जहां विकास की संभावना है और वहां निवेश बढ़ाना चाहिए।
यह स्थिति रूस के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें हमेशा के लिए समाप्त हो सकती हैं।