भारत में शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड जैसे निवेश माध्यमों की ओर लोगों का झुकाव लगातार बढ़ रहा है। यही वजह है कि देश में डीमैट खातों की संख्या पहली बार 20 करोड़ के पार पहुंच गई है। CDSL और NSDL के आंकड़ों से पता चलता है कि रिकॉर्ड निवेशक साइन-अप के चलते यह वृद्धि देखने को मिली है।
CDSL के मुताबिक, 31 जुलाई 2025 तक 16.1 करोड़ डीमैट खाते उसके पास दर्ज किए गए, जिनमें केवल जुलाई में ही 20 लाख नए खाते जोड़े गए। वहीं NSDL के पास 30 जून 2025 तक 4.05 करोड़ खाते थे। इन आंकड़ों को मिलाकर देश में डीमैट खातों की कुल संख्या 20.16 करोड़ हो गई है, जो अब तक का सर्वाधिक आंकड़ा है।
युवाओं का दबदबा
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के एमडी और सीईओ धीरज रेल्ली ने बताया कि डीमैट खातों की संख्या में बढ़ोतरी मुख्य रूप से 30 साल से कम उम्र के निवेशकों के कारण हो रही है। उन्होंने कहा, “हमारे प्लेटफॉर्म पर करीब 75% नए खाते युवा निवेशकों द्वारा खोले गए हैं।”
धीमी हुई रफ्तार
हालांकि खातों की कुल संख्या में उछाल देखने को मिला है लेकिन खाते खुलने की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई है। साल 2024 में जहां हर महीने औसतन 30 से 46 लाख खाते जुड़ते थे, वहीं 2025 की शुरुआत से यह संख्या घटकर 20 से 28 लाख प्रति माह रह गई है।
एक व्यक्ति के कई खाते
विशेषज्ञों का मानना है कि कुल डीमैट खातों की संख्या में वृद्धि का एक कारण यह भी है कि कई निवेशक अलग-अलग ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म्स पर एक से अधिक खाते खोल रहे हैं। ब्लिंकएक्स बाय जेएम फाइनेंशियल के एमडी गगन सिंगला ने कहा कि यह संख्या जरूरी नहीं कि अलग-अलग व्यक्तियों की भागीदारी दर्शाए, बल्कि अनुभवी निवेशकों के मल्टीपल अकाउंट्स का भी परिणाम हो सकती है।
सक्रिय निवेशकों की संख्या 5 करोड़ से कम
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के अनुसार, 30 जून तक सक्रिय निवेशकों की संख्या लगभग 4.8 करोड़ थी यानी कुल डीमैट खातों में से सिर्फ 25% निवेशक ही नियमित ट्रेडिंग करते हैं। ब्रोकरों के अनुसार, PAN के आधार पर अद्वितीय निवेशकों की संख्या संभवतः 10 करोड़ से कम होगी।