अमेरिका की पूर्व संयुक्त राष्ट्र राजदूत और रिपब्लिकन पार्टी की वरिष्ठ नेता निक्की हेली ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत पर टैरिफ बढ़ाने की घोषणा पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्रंप प्रशासन को चेतावनी दी कि यह निर्णय भारत-अमेरिका के रणनीतिक रिश्तों में दरार डाल सकता है, जो इस समय चीन की आक्रामकता के बीच बेहद अहम मोड़ पर हैं।
निक्की हेली ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब ट्रंप ने 1 अगस्त से भारतीय उत्पादों पर 25% तक टैरिफ लागू करने का ऐलान किया है, और आने वाले समय में इसे और भी अधिक बढ़ाने की बात कही है। ट्रंप ने यह कदम भारत द्वारा रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर उठाया है, जिसे उन्होंने “युद्ध मशीन को ईंधन देना” बताया।
हेली की दो-टूक: “भारत को सज़ा क्यों, चीन को छूट क्यों?”
हेली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा: “भारत को रूस से तेल नहीं खरीदना चाहिए, लेकिन चीन – जो अमेरिका का प्रमुख विरोधी है और रूस व ईरान का सबसे बड़ा तेल ग्राहक भी – उसे टैरिफ पर 90 दिन की छूट दी गई है। चीन को सज़ा दीजिए, भारत जैसे सहयोगियों को नहीं।”
उन्होंने ट्रंप प्रशासन पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह अमेरिका की रणनीतिक विश्वसनीयता के लिए खतरनाक है।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर: एक ‘सहयोगी’ को दंड क्यों?
निक्की हेली, जिनकी भारतीय जड़ें हैं, अमेरिका में भारत के लिए एक मजबूत आवाज मानी जाती रही हैं। उन्होंने अपने बयान में यह भी याद दिलाया कि भारत जैसे लोकतांत्रिक साझेदार को दूर करना, चीन के प्रभाव को रोकने की अमेरिका की कोशिशों को कमजोर करेगा।
उनका बयान संकेत देता है कि ट्रंप के रवैये से अमेरिका की विदेश नीति में दरार साफ दिख रही है — जहां चीन को छूट मिल रही है, वहीं भारत जैसे सहयोगियों पर कठोर कार्रवाई की जा रही है।
ट्रंप का आरोप: “भारत युद्ध को फंड कर रहा है”
CNBC को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा: “भारत के टैरिफ दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। वे हमसे बहुत व्यापार करते हैं, हम उनसे बहुत कम। हमने 25% टैरिफ लागू किया है, लेकिन अब मैं इसे और बढ़ाऊंगा क्योंकि वे रूस से तेल खरीद रहे हैं।”
उन्होंने दावा किया कि भारत ने एक ऐसे समझौते का प्रस्ताव दिया जिसमें अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ शून्य करने की बात थी, लेकिन ट्रंप ने इसे नाकाफी बताया। उनका तर्क था कि जब तक भारत रूस से तेल खरीदता रहेगा, तब तक कोई भी रियायत अर्थहीन है।
भारत का जवाब: “राष्ट्रीय हित सर्वोपरि”
भारत ने ट्रंप के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि रूस से तेल खरीद ऊर्जा सुरक्षा और उपभोक्ताओं के हित में की जा रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा: “हम अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर ऊर्जा स्रोत चुनते हैं। अमेरिका और यूरोपीय देश स्वयं भी रूस से व्यापार कर रहे हैं, लेकिन भारत की आलोचना कर रहे हैं – यह साफ तौर पर दोहरा मापदंड है।”
भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह किफायती ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक स्रोतों पर निर्भर रहेगा, और संप्रभुता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
ICRA की रिपोर्ट: टैरिफ विवाद से आर्थिक असर शुरू
भारतीय रेटिंग एजेंसी ICRA ने सोमवार को FY26 (2025-26) के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान 6.2% से घटाकर 6.0% कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत और अमेरिका के बीच बढ़ता टैरिफ तनाव, व्यापारिक अनिश्चितता और वैश्विक भू-राजनीतिक वातावरण अर्थव्यवस्था के लिए जोखिम पैदा कर रहे हैं।
प्रभावित सेक्टर्स:
- टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, केमिकल्स, जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे निर्यात-आधारित उद्योगों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा घट सकती है।
- फार्मा सेक्टर, जो अमेरिका को भारत के कुल फार्मा निर्यात का 37% निर्यात करता है, अभी तक टैरिफ के दायरे से बाहर है – लेकिन भविष्य में खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता।
- FY25 में अमेरिका के साथ भारत का व्यापार अधिशेष $41 अरब डॉलर का था — जो इस विवाद से प्रभावित हो सकता है।