झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, शिबू सोरेन का आज सुबह नई दिल्ली में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। शिबू सोरेन ने झारखंड की राजनीति में अपनी एक अलग पहचान बनाई और राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके निधन से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।
उनकी अंतिम सांस सुबह 8:48 बजे ली गई। उनके निधन की खबर से झारखंड में शोक की लहर दौड़ गई है। मुख्यमंत्री और उनके बेटे हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त करते हुए लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।”शिबू सोरेन की राजनीतिक विरासत और झारखंड के गठन में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनकी कमी झारखंड की राजनीति में एक बड़ा नुकसान है।
शिबू सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रमुख नेता और संस्थापक संरक्षक थे, जो पिछले 38 वर्षों से पार्टी का नेतृत्व कर रहे थे। उनका जन्म 11 जनवरी 1944 को बिहार के हजारीबाग जिले में हुआ था, जो अब झारखंड का हिस्सा है। जनता में उन्हें ‘दिशोम गुरु’ और ‘गुरुजी’ के नाम से सम्मानित किया जाता था। शिबू सोरेन ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत आदिवासियों के शोषण के खिलाफ संघर्ष से की और 1970 के दशक में धनकटनी आंदोलन समेत कई आंदोलनों के जरिए आदिवासी समाज की आवाज को मजबूती से उठाया।