मध्य-पूर्व में हालात बेहद तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। ईरान, अमेरिका और इजराइल के बीच बढ़ते टकराव में अब रूस और चीन भी खुलकर कूद पड़े हैं, जिससे यह क्षेत्रीय संघर्ष अब वैश्विक युद्ध की आशंका में बदलता नजर आ रहा है।
ईरान को मिल रही है रूस और चीन से सैन्य मदद
ईरान ने हाल के महीनों में अपनी रक्षा क्षमताएं तेज़ी से बढ़ाई हैं:
- रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम प्राप्त किया है, जो दुनिया के सबसे आधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है। यह ईरान को इज़राइली और अमेरिकी हवाई हमलों से बचाने में मदद करेगा।f
- चीन से J-10C फाइटर जेट्स और लंबी दूरी की PL-15 मिसाइलें हासिल की हैं, जिससे ईरानी वायु सेना की क्षमता में भारी इज़ाफा हुआ है।
- इसके अलावा, ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को भी तेज़ कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान अब 60% तक यूरेनियम समृद्ध कर चुका है, जो हथियार बनाने के लिए जरूरी 90% स्तर के बेहद करीब है।
अमेरिका और इज़राइल की चेतावनी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में बयान दिया कि अगर ईरान परमाणु हथियार बनाता है, तो “अमेरिका उसे खत्म कर देगा”। इज़राइल भी सक्रिय है और उसने कई बार ईरान के परमाणु वैज्ञानिकों और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की है। हालांकि, ईरान ने दावा किया है कि उसने इन हमलों को विफल कर दिया। इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि वे ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु शक्ति बनने नहीं देंगे।
रूस और चीन का रणनीतिक समर्थन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में नेतन्याहू से बातचीत कर मध्य-पूर्व में शांति की अपील की, लेकिन रूस की नीति स्पष्ट है — अगर अमेरिका या इज़राइल ने ईरान पर हमला किया, तो रूस सैन्य समर्थन और कूटनीतिक मोर्चे पर ईरान का साथ देगा। चीन ने भी ईरान के साथ रणनीतिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और क्षेत्रीय स्थिरता में “पक्षपात रहित भूमिका” निभाने की बात कही है, लेकिन पर्दे के पीछे वह ईरान को हथियार और टेक्नोलॉजी मुहैया कर रहा है।
क्यों है यह खतरे की घंटी?
- कुछ ही हफ्ते पहले, 12 दिन तक चले एक सीमित युद्ध के बाद संघर्ष रुका था, लेकिन नया युद्ध कभी भी शुरू हो सकता है।
- अगर यह युद्ध छिड़ता है, तो यह सिर्फ ईरान, अमेरिका और इज़राइल तक सीमित नहीं रहेगा — बल्कि रूस और चीन की भागीदारी इसे एक वैश्विक शक्ति संघर्ष में बदल सकती है।
- ईरान ने साफ किया है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम पर किसी बाहरी देश का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा।