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दिल्ली
पश्चिमी जिला पुलिस की साइबर थाना पुलिस ने ठगी के एक मामले को सुलझाते हुए एक मुख्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि आरोपित सनाउल मियां को झारखंड के जामताड़ा से पकड़ा गया, जो लोगों को फर्जी बैंक कर्मचारी बनकर ठगने का काम करता था।
बैंक का सहायक प्रबंधक बनकर किया फोन और 15 लाख उड़ाए
पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष 17 अप्रैल को साइबर थाना पुलिस में 15 लाख रुपये की ठगी की दो शिकायतें दर्ज कराई गई। शिकायतकर्ता को एक अज्ञात व्यक्ति ने भारतीय डाक भुगतान बैंक का सहायक प्रबंधक बनकर फोन किया और उनके दो खातों को एक ऐप से जोड़ने का वादा किया।
आरोपित ने खुद को आकाश वर्मा बताया और वाट्सएप कॉल के जरिए पीड़ित से उसका मोबाइल स्क्रीन शेयर करने को कहा और धोखे से उनके खातों से 15 लाख रुपये निकाल लिए।
वसीम के साथ मिलकर करता था ठगी
मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर थाना प्रभारी विकास कुमार के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई। तकनीकी छानबीन और पैसे के लेन-देन की जांच के बाद, पुलिस ने जामताड़ा में छापेमारी की और सनाउल मियां को गिरफ्तार किया। उसके कब्जे से दो स्मार्टफोन बरामद किए गए, जिनमें संदिग्ध चैट, रिकॉर्डिंग, बैंकिंग जानकारी के स्क्रीनशाट और अन्य सबूत मिले।
सनाउल से पुलिस को पता चला कि वह अपने साथी वसीम के साथ मिलकर ठगी करता था। वसीम फर्जी गूगल विज्ञापनों के जरिए बैंक ग्राहक सेवा नंबर देता था। जो इस नंबर पर इससे संपर्क करता था, उसके पास एक फाइल भेजकर उसके मोबाइल स्क्रीन तक पहुंच बनाई जाती थी, जिसके बाद उनके बैंक खातों से पैसे निकाले जाते थे। पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मामले में अब वसीम की तलाश की जा रही है।