प्रसिद्ध शैव स्थल बटेश्वर स्थान में सावन माह में गंगा पार के श्रद्धालुओं को आने-जाने की सुविधा काफी सुलभ हो जाएगी। अभी विक्रमशिला स्टेशन उत्खनन स्थल से लगभग पांच किमी की दूरी पर है। पर्यटकों को पांच किमी की दूरी ग्रामीण सड़क पर तय करनी होती है।
खनन का बढ़ेगा दायरा
एनटीपीसी से उत्सर्जित फ्लाई ऐश, झारखंड के पत्थर व्यवसाय, ललमटिया से निकलने वाले कोयले के ट्रांसपोर्टेशन को नया मार्ग मिलेगा। वर्तमान में जो भी गंगा पार करने के विकल्प हैं, इस रेल पुल से दूरी काफी कम हो जाएगी। चौतरफा रेल मार्ग होने से उद्योग स्थापना की संभावनाएं बढ़ेंगी।
पूर्वोत्तर जाने वाली ट्रेनों की घटेगी दूरी, मालगाड़ी का भी घटेगा दबाव
विक्रमशिला-कटरिया न्यू डबल लाइन रेल पुल व गोड्डा-पीरपैंती रेललाइन बिछने से बाढ़ आदि परिस्थितियों में ट्रेनों के संचालन के लिए वैकल्पिक मार्ग मिल जाएगा। इससे ट्रेनों को रद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
साहिबगंज-भागलपुर-जमालपुर रेलखंड में मालगाड़ियों का 50 प्रतिशत तक दबाव कम होगा। वर्तमान में नार्थ-ईस्ट जाने वाली मालगाड़ी भी भागलपुर से मुंगेर किऊल होकर चल रही है।
विक्रमशिला-कटारिया रेललाइन पुल के बनने के बाद नार्थ-ईस्ट के लिए एक और रास्ता मिल जाएगा। भागलपुर जिले के लोगों को नई ट्रेनें मिलेंगी।सबौर के पास बनेगा वाई-लेग सेक्शन इधर, कटरिया को मालदा मंडल में भागलपुर विक्रमशिला से जोड़ा जाएगा।
इसी के साथ एक वाई-लेग सेक्शन सबौर के पास बनाने का भी प्रस्तावित है। दो माह पहले 28 मार्च को पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक मिलिंद के देउस्कर ने यहां निरीक्षण भी किया था। रेलमंत्री ने भी रेल अधिकारियों के साथ वर्चुअली बैठक कर रेल परियोजनाओं में इस मेगा ब्रिज की जानकारी दी थी। इससे 95 करोड़ किलोग्राम कार्बन का कम उत्सर्जन होगा।