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मुंबई
बैंकों के कुल कर्ज में मेट्रो शहरों की शाखाओं की हिस्सेदारी पांच वर्ष के निचले स्तर पर आ गई है। आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी डाटा के अनुसार, मार्च 2025 के अंत में कुल कर्ज में मेट्रो शाखाओं की हिस्सेदारी घटकर 58.7 प्रतिशत रही है जो पांच वर्ष पहले समान अवधि में 63.5 प्रतिशत थी।
केंद्रीय बैंक का कहना है कि इस गिरावट का मुख्य कारण ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी शाखाओं की ओर से ज्यादा कर्ज देना है। दिलचस्प बात यह है कि जमा के लिहाज से मेट्रो शहरों में स्थित बैंक शाखाओं में अन्य समूहों की तुलना में वृद्धि दर अधिक है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
डाटा के अनुसार, मार्च 2025 के अंत में मेट्रो शाखाओं की जमा में वृद्धि दर वार्षिक आधार पर 11.7 प्रतिशत रही है। जबकि ग्रामीण, अर्ध-शहरी और शहरी शाखाओं की वृद्धि दर क्रमश: 10.1 प्रतिशत, 8.9 प्रतिशत और 9.3 प्रतिशत रही है।
RBI के डाटा पर भी डालिए नजर
आरबीआई के अनुसार, बीते वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान बैंकों के कुल कर्ज वितरण में 11.1 प्रतिशत की वृद्धि रही है। यह वित्त वर्ष 2023-24 के 15.3 प्रतिशत से कम है। इसी तरह, बीते वित्त वर्ष में जमा की वृद्धि दर 10.6 प्रतिशत रही है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की 13 प्रतिशत से कम है।
डाटा के अनुसार, बीते वित्त वर्ष में सभी बैंक समूहों के कर्ज वितरण में गिरावट रही है। सबसे ज्यादा गिरावट निजी क्षेत्र के बैंकों में रही है। 2024-25 के दौरान निजी क्षेत्र के बैंकों के कर्ज वितरण में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि रही है, जो इससे पहले के तीन वित्त वर्ष तक 15 प्रतिशत से अधिक थी।