Friday, August 8, 2025
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सिंधु जल को पाकिस्तान जाने से कैसे रोकेंगे? शिवराज सिंह चौहान ने बताया मोदी सरकार का प्लान

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नई दिल्ली।  सीमा पर जवानों की सक्रियता के साथ खेतों में किसानों की मेहनत का समय भी आ गया है। खरीफ की खेती शुरू होने वाली है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रयास अन्न भंडार की समृद्धि में वृद्धि के साथ किसानों को खुशहाल करना है। 

इसके लिए 29 मई से वह विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाने जा रहे हैं। चौहान के पास ग्रामीण विकास मंत्रालय है। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी तीन करोड़ महिलाओं को उन्हें लखपति दीदी बनाना है। इससे भी आगे जो लखपति बन चुकी हैं, उन्हें महालखपति बनाना है। खरीफ की खेती शुरू होने से पहले कृषि एवं किसानों से संबंधित मुद्दों पर अरविंद शर्मा ने शिवराज सिंह चौहान से लंबी बात की। 

प्रस्तुत है प्रमुख अंश:

सवाल-आपके विकसित कृषि संकल्प अभियान की बहुत चर्चा है किसानों को इससे कैसे फायदा होगा।

जवाब: खरीफ के लिए यह अभियान 29 मई से 12 जून तक चलेगा। रबी के लिए अलग से चलेगा। इसके तहत किसानों की समृद्धि के लिए वैज्ञानिक तरीके से कृषि क्षेत्र में नवाचार और अनुसंधान पर काम करना है। पहला मौका होगा जब अभियान के दौरान कृषि विशेषज्ञों की 2170 टीमें 723 जिलों के 65 हजार गांवों के डेढ़ करोड़ किसानों के साथ 15 दिनों तक संवाद करेंगी।

इसमें 16 हजार कृषि वैज्ञानिक भी होंगे, जो किसानों को उन्नत कृषि पद्धतियों, जलवायु के अनुकूल फसलों एवं प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में बताएंगे। बहुत सारे ऐसे किसान भी हैं जिन्होंने नवाचार के जरिए उत्पादकता बढ़ाई है। विकसित भारत के लिए प्रयोगशाला से निकलकर खेतों और अंतिम पंक्ति के किसानों तक पहुंचना जरूरी है, ताकि खेती की लागत कम हो एवं उत्पादकता बढ़े। 

सवाल-लखपति दीदियों को मिलियन दीदी बनने के लिए प्रेरित किया है, आपका आशय क्या है।

जवाब: देश में अभी एक करोड़ 48 लाख दीदियां लखपति बन चुकी हैं। लक्ष्य तीन करोड़ का है। आप कह सकते हैं कि आधी सफलता मिल चुकी है। मिलियन मतलब जिनकी कमाई दस लाख हो गई है। हर हफ्ते समीक्षा कर रहा हूं। ऐसी कई दीदियां सामने आ रही हैं, जिनकी आमदनी दो लाख से ज्यादा हो गई। अब उन्हें प्रोत्साहित कर महालखपति बनाना है। हमारी योजना कारगर हो रही है।

आर्थिक रूप से महिलाएं सशक्त होने लगी हैं। सामाजिक सम्मान भी बढ़ा है। ऐसे ही ग्राफ बढ़ते रहा तो महालखपति क्या, करोड़पति भी बन सकती हैं। हमारा लक्ष्य दीदियों से छोटा काम करवाना नहीं है। धीरे-धीरे आगे बढ़ा उद्यमी बनाना है। छोटे-बड़े प्लांट की मालकिन भी बन सकती हैं। अभी सर्वे कराया जा रहा है कि किस-किस दीदी में आगे बढ़ने की संभावना है। संभावना वाले उद्यमों का डाटा बनाया जा रहा है। 

सवाल- लखपति बनने के बाद भी तो कमाई घट सकती है।

जवाब- पहले लखपति दीदी बनने की प्रक्रिया समझ लीजिए। विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से दस लाख से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हुई हैं। लखपति बनने के लिए सभी को प्रेरित किया जा रहा है। जब किसी दीदी की कमाई प्रमाणित रूप से एक लाख से ज्यादा हो जाती है और वर्ष भर सामान्य रूप से स्थायी कमाई जारी रहती है तभी उन्हें लखपति माना जाता है। ऐसी दीदियों की संख्या एक करोड़ 48 लाख पहुंच चुकी है, किंतु सरकार के आंकड़ों में केवल एक करोड़ 15 लाख ही लखपति हैं। अभी 33 लाख दीदियों की कमाई देखी जा रही है। छह महीने तक कमाई जारी रहेगी तो घोषित कर दिया जाएगा। 

सवाल: किसानों से आपने सिंधु जल संधि पर राय मांगी थी। क्या निकला।

जवाब- पहले तो यह समझिए कि यह समझौता ही अन्यायपूर्ण था। नेहरू सरकार ने पानी भी दिया और पैसे भी दिए। पाकिस्तान को नहरें बनाने के लिए 1960 में 83 करोड़ रुपये दिए गए, जो वर्तमान मूल्य में पांच हजार पांच सौ करोड़ रुपये है। क्यों दिए। नेहरू को अपनी वैश्विक छवि चमकानी थी। अपने किसानों की परवाह नहीं थी। देश आज पीएम मोदी का आभारी है कि समझौते को स्थगित कर दिया। 

सवाल: सिंधु जल को पाकिस्तान जाने से कैसे रोकेंगे? 

जवाब: इन्फ्रास्ट्रक्चर तो बनाना पड़ेगा। जब पूर्व की सरकार ने समझौता ही ऐसा कर लिया था तो कैसे बनता। अब बनेगा। कितना समय लगेगा यह कहना मुश्किल है। कोई भी बांध बनाते हैं तो चार-पांच साल तो लगते ही हैं। यह कोई एक दिन का काम नहीं है। मैं जब मध्यप्रदेश का सीएम था तो तय किया था कि छोटे बांध एक-दो साल में पूरे कर लेंगे। बड़े बांध में किसी हाल में पांच से ज्यादा वर्ष नहीं लगने दूंगा। 

सवाल: भारत को कितना फायदा होगा। क्या ¨सधु के पानी को राजस्थान तक पहुंचाया जा सकता है।

जवाब: सब संभव है। वैज्ञानिक अध्ययन कराना पड़ेगा। एक ही उदाहरण दूंगा कि नर्मदा का पानी मुझे मालवा पठार तक ले जाना था। अफसरों ने कह दिया कि नहीं जा सकता है। नर्मदा नीचे है और मालवा ऊपर तो कैसे जा सकता है। नहर से नहीं जाता यह तय था। हमने बड़ी-बड़ी पाइप लगाई। शक्तिशाली मोटर लगाए और पहुंचा दिया। 

सवाल-बिहार में मखाना बोर्ड पर काम कितना आगे बढ़ा है?

जवाब:  मखाना बोर्ड बनाने की सारी प्रक्रिया पूरी हो गई है। बहुत जल्दी अंतिम रूप दे दिया जाएगा। जो इसे बिहार विधानसभा चुनाव के नजरिए से देख रहे हैं, उनसे मैं पूछना चाहता हूं कि मौका तो उन्हें भी मिला था। क्यों नहीं बनाया। 

सवाल- देश में दलहन की बड़ी कमी है। पिछले वर्ष 70 लाख टन आयात करना पड़ा था। हम कब तक आत्मनिर्भर हो जाएंगे। 

जवाब: खाद्यान्न का हमारा उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है। गेहूं, चावल, मक्के का आंकड़ा देख लीजिए। दलहन में अभी कसर है, लेकिन योजना बनाकर काम किया जा रहा है। देश की बड़ी आबादी प्रोटीन के लिए दाल पर निर्भर है। 

कब तक आत्मनिर्भर हो जाएंगे, यह नहीं कहा जा सकता है, किंतु इतना तय है कि 2027 तक जो लक्ष्य है, उसे प्राप्त करेंगे। हमारा जोर कम खेत में ज्यादा उत्पादन पर है। धान की दो किस्मों को जीनोम एडिटिंग से विकसित किया गया है। दाल में भी ऐसा प्रयोग करेंगे। आत्मनिर्भरता के लिए यह जरूरी है।

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