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पटना
पटना मेट्रो रेल परियोजना में परामर्शदाता (कंसल्टेंट) की नियुक्ति को लेकर उठे सवालों पर पटना हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। अंतराष्ट्रीय समूह डांग मिजोंग कंसल्टेंसी की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की खंडपीठ ने पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड से 26 जून तक विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश आशुतोष कुमार एवं न्यायाधीश पार्थ सारथी की खंडपीठ ने यह आदेश कोर्ट के ग्रीष्मावकाश से ठीक पहले जारी किया।
क्या है मामला
याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली ने अदालत को बताया कि पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने कंसल्टेंट की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मांगा था। याचिकाकर्ता कंपनी ने सभी प्रक्रियाओं का पालन किया, परंतु तकनीकी निविदा को खोला ही नहीं गया।
इस बीच अखबार में प्रकाशित खबर में यह उजागर हुआ कि कॉरपोरेशन ने निविदा प्रक्रिया में एक जापानी कंपनी को अनुचित रूप से वरीयता देने के लिए पारदर्शिता नहीं बरती और कुछ ऐसी शर्तें जोड़ीं, जो निविदा दस्तावेज में पूर्व से निर्धारित नहीं थीं।
याचिकाकर्ता कंपनी द्वारा की गई पड़ताल में सामने आया कि कॉरपोरेशन ने गोपनीयता का हवाला देते हुए कुछ ऐसी अहर्ताएं जोड़ीं, जो वैज्ञानिक और तकनीकी दृष्टिकोण से उचित नहीं थीं।
अधिवक्ता मौली ने कोर्ट से कहा कि मेट्रो जैसी जनहित से जुड़ी परियोजना में अगर शुरुआत से ही पारदर्शिता नहीं बरती जाएगी, तो पूरी परियोजना की गुणवत्ता संदेह के घेरे में आ जाएगी।
कोर्ट ने मेट्रो रेल कॉरपोरेशन की ओर से पेश वरीय अधिवक्ता सत्यदर्शी संजय को याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों पर विधिसम्मत और तथ्यपूर्ण जवाब 26 जून से पहले दाखिल करने का आदेश दिया है।