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शामली
मूल रूप से कैराना निवासी आईएसआई का गुर्गा इकबाल काना पाकिस्तान में बैठकर आईएसआई के लिए युवाओं की फौज तैयार कर रहा है। 1996 में फरार इकबाल अब भारत आने की फिराक में है।
आरोपी ने इकबाल सिद्दीकी के नाम से पाकिस्तानी आईडी बनवाई है। इससे जुड़ा एक पाकिस्तानी दस्तावेज नोमान के पास से बरामद हुआ, जिसके जरिये उसका पासपोर्ट बनवाने की तैयारी थी।
बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद कैराना निवासी नोमान को पानीपत से पाकिस्तान के लिए जासूसी करते हुए पकड़ा गया था। कैराना निवासी इकबाल 1985 में पंजाब के रास्ते पाकिस्तान से गठरी उद्योग से जुड़ा और जल्द अमीर बनने के लालच में नकली नोट, हथियार और सोने की तस्करी करने लगा। कई बार उसकी गिरफ्तारी हुई।
पुलिस पीछे लगी तो वह पाकिस्तान भाग गया। वहां उसने पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई से प्रशिक्षण लिया और कुछ ही साल में आईएसआई का अहम गुर्गा बन गया। हथियार और नकली नोट की तस्करी में वांछित होने के कारण भारत नहीं लौटा।
वह कैराना, शामली के साथ ही हरियाणा और दिल्ली में कई लोगों के संपर्क में है। यही कारण है कि आईएसआई, आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के साथ ही आतंकी सरगना हाफिज सईद के कहने पर उसने भारत में आईएसआई के लिए लोग तलाशने शुरू किए।
दो साल में शामली से दो और पानीपत से कैराना निवासी नोमान की गिरफ्तारी हुई, इनके मोबाइल फोन में इकबाल से बातचीत के साक्ष्य मिले। नोमान के घर से पाकिस्तान का एक दस्तावेज मिला है। दस्तावेज इकबाल सिद्दीकी नाम से है।
नोमान से जब दस्तावेज के संबंध में पूछताछ की गई तो बताया कि यह दस्तावेज इकबाल काना का है। उसने अब इकबाल काना से नाम बदलकर इकबाल सिद्दीकी रख लिया है। वह भारत आना चाहता है। नाम व पहचान बदलकर भारत में रहकर आईएसआई के लिए काम करना चाहता है।