याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने रखी अपनी दलीलें
आज केंद्र सरकार रखेगी अपना पक्ष
सिब्बल ने कोर्ट के सामने कही ये बात
सिब्बल ने कानून की विभिन्न धाराओं का उल्लेख किया
उन्होंने कहा कि कानून इस तरह बनाया गया है कि बिना किसी प्रक्रिया का पालन किए वक्फ संपत्ति छीन ली जाए। सिब्बल ने कानून की विभिन्न धाराओं को उल्लेखित कर उनकी वैधानिकता पर सवाल उठाया और कानून को संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 में मिले धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया।
सिब्बल के अलावा इन वकीलों ने पेश की अपनी दलीलें
सिब्बल ने कहा कि कानून में वक्फ पंजीकृत कराने की बात थी और मुतवल्ली की जिम्मेदारी थी वक्फ पंजीकृत कराएं और वक्फ पंजीकरण न कराने पर मुतवल्ली पर कार्रवाई होने की बात थी लेकिन उस कानून में पंजीकृत न होने पर वक्फ समाप्त होने की बात नहीं थी
सीजेआई ने पूछे कई सवाल
अंतरिम आदेश की मांग पर सीजेआइ ने कहा कि संविधान के बारे में संवैधानिकता की धारणा होती है और जब तक कोई स्पष्ट मामला न बनता हो, अदालतें हस्तक्षेप नहीं करतीं। हालांकि सिब्बल ने संशोधित कानून के प्रविधान पर सवाल उठाते हुए कहा कि वक्फ संपत्ति का प्रबंधन करने का अधिकार छीन लिया गया है।
सीजेआई ने कही ये बात
सीजेआइ ने सिब्बल से सवाल किया कि क्या अब आपसे वहां प्रार्थना करने का अधिकार छिन जाता है। सिब्बल ने कहा कि नया कानून कहता है कि जो संपत्ति प्राचीन स्मारक या संरक्षित संपत्ति घोषित हो जाती है, तो वह वक्फ नहीं रहती।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखी अपनी बात
मंगलवार को मामले पर नियमित बहस शुरू होने के पहले केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अंतरिम आदेश के पहलू पर सुनवाई तीन मुद्दों तक सीमित रखने का आग्रह किया। कहा- कोर्ट ने ये तीन मुद्दे तय किए थे और उन्हीं पर केंद्र ने जवाब दाखिल किया है। लेकिन सिब्बल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट ने ऐसा आदेश नहीं दिया था। बहस कानून के सभी मुद्दों पर होगी।
सुनवाई टुकड़ों में नहीं हो सकती- अभिषेक मनु सिंघवी
अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि सुनवाई टुकड़ों में नहीं हो सकती। बता दें कि पहला मुद्दा उन संपत्तियों को डिनोटिफाई करने की शक्ति से संबंधित है जिन्हें अदालतों द्वारा वक्फ, वक्फ बाई यूजर या वक्फ-बाय-डीड के रूप में घोषित किया गया है।
एआइएमआइएम, जमीयत उलमा-ए- हिंद ने दाखिल की हैं याचिकाएं
वक्फ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिकता पर कोर्ट पांच मुख्य याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है जिनमें एआइएमआइएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी व जमीयत उलमा ए हिंद की याचिका शामिल हैं। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने केंद्र की ओर दिए गए आश्वासन को दर्ज किया था।
केंद्र सरकार ने कोर्ट को कही थी ये बात
केंद्र सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि अगले आदेश तक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति नहीं की जाएगी। इसके अलावा केंद्र ने यह भी कहा था कि अधिसूचित या पंजीकृत वक्फ जिनमें वक्फ बाई यूजर (उपयोग के आधार पर वक्फ) भी शामिल हैं, उन्हें गैर अधिसूचित नहीं किया जाएगा और न ही उनकी प्रकृति में बदलाव किया जाएगा।