शाह ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि वैज्ञानिक मॉडल के माध्यम से कार्बन क्रेडिट का प्रत्यक्ष लाभ किसानों तक पहुंचाया जाए। उन्होंने दुग्ध संघों एवं सहकारी समितियों को सशक्त बनाने और डेरी संयंत्रों में खाद्य प्रसंस्करण को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। ये सभी प्रयास न केवल किसानों की आय में वृद्धि करेंगे बल्कि डेयरी क्षेत्र को अधिक सतत एवं पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होंगे।
सहकारिता मंत्री ने अमूल जैसे सफल सहकारी मॉडल का जिक्र करते हुए कहा कि ‘सहकार से समृद्धि’ का विजन आज साकार हो रहा है। इसमें ‘सहकारिता में सहकार’ एक अहम भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्रालय विभिन्न मंत्रालयों और हितधारकों के साथ मिलकर न केवल डेरी क्षेत्र में इस सफलता को आगे बढ़ा रहा है बल्कि ग्राम स्तरीय सहकारी समितियों को अन्य गतिविधियों से भी जोड़कर उन्हें विस्तारित और मजबूत कर रहा है। ये सभी प्रयास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विकसित भारत के लक्ष्य को समेकित रूप से हासिल करने में सहायक सिद्ध होंगे।

ये लोग भी रहे मौजूद

उन्होंने सहकारिता के उन्नयन के लिए कार्य कर रही राष्ट्रीय संस्थाओं जैसे राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, नाबार्ड आदि की सराहना की। बैठक में सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल सिंह गुर्जर और मुरलीधर मोहाल भी उपस्थित रहे।