दो मई को यह मिला था

15-15 लीटर वाले सात टिन में 103 लीटर पामोलिन आयल, सौ किलोग्राम मिल्क पाउडर और रिफाइंड आयल के पांच टिन मिले थे। पनीर को काटे गए टिन में रखा गया था। जिस पानी में पनीर रखा गया था उसमें असंख्या मक्खियां मरी मिली थीं। पानी भी गंदा था। इसके बाद पनीर को नष्ट करा दिया गया था।

महराजगंज, संतकबीरनगर और कुशीनगर में बिक्री

मिलावटी पनीर की बिक्री गोरखपुर में कम की जाती थी। इसे महराजगंज, संतकबीरनगर, कुशीनगर में बेचा जाता था। शाम को पनीर तैयार कर वाहनों से आर्डर वाले स्थानों पर भेजा जाता था और वापस में मिलावट के लिए सामान खरीदकर इन्हीं वाहनों के माध्यम से फैक्ट्री में पहुंचाया जाता था। गोलघर के खोवा मंडी में भी कुछ मात्रा में पनीर मंगाने की चर्चा है।

रोजाना चार लाख रुपये के मिल्क पाउडर की खपत

सूत्रों का कहना है कि मो. खालिद की रोजाना तकरीबन चार लाख रुपये के मिल्क पाउडर से मिलावटी पनीर बनाकर बेचा जाता था। यहां बड़ी मशीन भी मिली है। इसमें सोयाबीन, रीठा आदि को पीसा जाता था। ब्वायल भी लगा मिला। पनीर बनाने के लिए तैयार घोल को चार से छह घंटे जलाया जाता था। इसके बाद स्वाद और सुगंध के लिए केमिकल डाले जाते थे।

एक किलो पनीर बनाने में लगता है पांच लीटर दूध

एक किलोग्राम शुद्ध पनीर तैयार करने में पांच लीटर दूध की जरूरत होती है। मो. खालिद की फैक्ट्री में सिर्फ 30 लीटर पैकेट वाला दूध मिला। बताया जा रहा है कि पहले फैक्ट्री में डेयरी खुली थी लेकिन काम नहीं चला तो मिलावट का धंधा शुरू कर दिया गया।

पूरी तरह के गोपनीय रखी गई थी कार्रवाई

गोरखपुर: सहायक आयुक्त खाद्य डा. सुधीर कुमार सिंह ने पूरी कार्रवाई को गोपनीय रखा था। यहां तक कि छापेमारी में शामिल 16 सदस्यीय टीम को भी नहीं पता था कि कहां जाना है। सभी को एक जगह बुलाया गया और यहां से वाहन से पूरी टीम निकली। जब छापा पड़ा तो मिलावट का बड़ा धंधा देख सभी हैरान रह गए।