2.9kViews
1921
Shares
नई दिल्ली। भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवाई ने शनिवार को संविधान और कानून के शासन की रक्षा के प्रति अपनी अडिग प्रतिबद्धता की व्यक्त की।
भारतीय बार काउंसिल (बीसीआइ) द्वारा उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में जस्टिस गवाई ने इस बात पर जोर दिया कि वह सुनिश्चित करेंगे कि संविधान के वादे भारतीय समाज के व्यापक वर्ग तक पहुंचें।
गवाई ने 14 मई को 52वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली
उन्होंने बीती 14 मई को 52वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली है। उन्होंने कहा कि मैं केवल इतना कह सकता हूं कि जो भी थोड़ा समय मेरे पास है, मैं अपनी शपथ का पालन करते हुए कानून के शासन और भारत के संविधान की रक्षा के लिए अपनी पूरी कोशिश करूंगा।
जस्टिस गवाई ने कहा कि वह इस देश के आम नागरिकों तक पहुंचने का प्रयास करेंगे। केसवानंद भारती के निर्णय के स्थायी महत्व को उजागर करते हुए चीफ जस्टिस ने इसे संविधानिक तनावों को सुलझाने के लिए एक आधारशिला बताया।
मौलिक अधिकारों को लेकर कही ये बात
उन्होंने कहा कि जहां भी मौलिक अधिकारों और राज्य नीति के निदेशात्मक सिद्धांतों के बीच संघर्ष होता है, केसवानंद भारती का मामला हमारे लिए मार्गदर्शक रहा है। यह हमें सिखाता है कि दोनों ही हमारे संविधान की आत्मा हैं। चीफ जस्टिस ने अपने चार दशकों के कानूनी सफर पर विचार करते हुए, व्यक्तिगत अनुभव साझा किए।