विपक्ष इन मुद्दों को दे रहा तूल
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का राजनीतिक प्रभाव क्या होगा, यह भविष्य तय करेगा। मगर, इसमें संभवत: किसी भी दल को संदेह नहीं है कि पाकिस्तान और उसके संरक्षण में पल रहे आतंकियों पर प्रहार कर भारतीय सेनाओं ने जोश-जुनून और भावनाओं का ऐसा ज्वार उठा दिया है, जिसमें सारा देश डूबा दिखाई दे रहा है। इसके सहारे राष्ट्रवाद की लहर उठी है तो लहरकाट के प्रयासों में लगा विपक्ष सीजफायर में अमेरिकी हस्तक्षेप जैसे मुद्दों को तूल देना चाहता है।
ये लोग बैठक में हैं आमंत्रित
इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और सदस्य आमंत्रित हैं। एजेंडा अभी सार्वजनिक नहीं है, लेकिन बताया जा रहा है कि इसमें 2047 तक विकसित भारत बनाने के मोदी सरकार के संकल्प में राज्यों की साझा भूमिका सहित खास तौर पर ग्रामीण विकास की उपलब्धियों पर चर्चा संभावित है। इसके माध्यम से सरकार संदेश देगी कि सरकार सहकारी संघवाद के सिद्धांत पर चलते हुए देश के समग्र विकास के ध्येय पर चल रही है।
पीओके वापस लेना सरकार के एजेंडे में शामिल
सरकार चाहती है कि जनता के बीच सीजफायर को लेकर कोई भ्रम पैदा न किया जा सके। यह संदेश देने का प्रयास भी किया जा सकता है कि भारत की लड़ाई आतंकवाद के विरुद्ध है और उसका निरंतर मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। साथ ही पीओके वापस लेना भी सरकार के एजेंडे में है, लेकिन युद्ध को लेकर अतिरेक की जिस भावना को कुछ विपक्षी दल उकसाना चाहते हैं, वह किसी भी राष्ट्र के विकास के लक्ष्यों को प्रभावित कर सकती है। ध्यान रहे कि पीएम की इस प्रस्तावित बैठक को लेकर सरकार की ओर से कोई अधिकृत जानकारी अभी नहीं दी गई है, लेकिन कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ही ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एनडीए के मुख्यमंत्रियों के साथ पीएम की प्रस्तावित बैठक का दावा कर इस पर आपत्ति जताई है।