दिल्ली सरकार ने कई कदम उठाए
इसे रोकने के लिए पिछले तीन महीने में दिल्ली सरकार ने कई कदम उठाए हैं। पानी के टैंकरों के लिए जीपीएस अनिवार्य कर दिया गया है। इनकी निगरानी के लिए केंद्र बनाया गया है। अब सरकार ने फैसला किया है कि दिल्ली के सभी होटल, बैंक्वेट हॉल, शॉपिंग मॉल, निजी अस्पताल व अन्य बड़े व्यावसायिक संस्थानों से पानी का बिल उनसे निकलने वाले सीवेज के आधार पर वसूला जाएगा।
इन संस्थानों से हर दिन लाखों लीटर गंदा पानी सीवर लाइन में डाला जाता है। अब मुफ्त पानी लेकर करोड़ों रुपये कमाने वालों की मनमानी खत्म होगी। उन्हें एक-एक बूंद का हिसाब देना होगा। जो सीवर से पानी निकालेगा, उसे उतनी ही रकम का पानी का बिल देना होगा। इससे पानी की चोरी रोकने में मदद मिलेगी। दिल्ली जल बोर्ड के सीवरेज संबंधी आंकड़ों और नगर निगम के व्यावसायिक लाइसेंस से सत्यापन के आधार पर रिकॉर्ड की जांच की जाएगी।
दिल्ली जल बोर्ड के नियमों के अनुसार माना जाता है कि करीब 80 फीसदी पानी सीवेज से आता है। इसी आधार पर व्यावसायिक संस्थानों के पानी के बिल की गणना की जाएगी। इससे यह भी पता चलेगा कि वे कितना पानी चुरा रहे हैं।