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लखनऊ
भारत में पहली बार बन रही सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस नेक्स्ट जनरेशन (एनजी) तीनों सेनाओं की मारक क्षमता को बढ़ाएगी। वजन और लागत में यह मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल से आधी से भी कम होगी।
लड़ाकू विमान सुखोई में पहले से अधिक मिसाइल को लोड किया सकेगा। सबसे एडवांस तकनीक वाली ब्रह्मोस-एनजी की पहली खेप अगले एक साल में तैयार हो जाएगी। वहीं, मौजूदा इस्तेमाल हो रही पहली ब्रह्मोस मिसाइल तैयार कर ली गई है। इसकी डिलीवरी रविवार को प्रोडक्शन यूनिट के दौरान की जाएगी।
लखनऊ में ब्रह्मोस’ की प्रोडक्शन यूनिट को तैयार करने में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के तत्कालीन एमडी व सीईओ डॉ. सुधीर मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वह इस समय डीआरडीओ के एडवाइजर हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में डॉ. मिश्र ने इस सेंटर की विशेषता पर बात की।
मिसाइल का वजन घटकर 1260 किलोग्राम
डॉ. मिश्र ने बताया कि ब्रह्मोस-एनजी का उत्पादन भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम मिलकर कर रहे हैं। मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल का वजन 2900 किलोग्राम है, जबकि एनजी तकनीक की मिसाइल का वजन घटकर 1260 किलोग्राम हो जाएगा।
- सुखोई विमान में एक की जगह पांच मिसाइल तक लोड हो सकेंगी। इसकी रेंज मौजूदा मिसाइल की तरह 300 किमी. की होगी। थलसेना के सिस्टम से एक साथ तीन की जगह छह मिसाइल लोड होंगी। नौसेना के युद्धपोत की क्षमता भी बढ़ेगी।
- ब्रह्मोस का उत्पादन अभी तिरुवनंतपुरम, नागपुर , हैदराबाद और पिलानी में होता है। लखनऊ इसकी पांचवी प्रोडक्शन यूनिट होगी, लेकिन एनजी तकनीक वाली मिसाइल केवल लखनऊ में तैयार होगी।
- अभी हर साल 80 से 100 मौजूदा मिसाइल तैयार की जाएगी। अगले एक साल में एनजी की 100 से 150 मिसाइल तैयार होने लगेंगी। तब हर साल दोनों तरह की कुल 250 मिसाइल तैयार की जा सकेंगी।
ऐसे लिया आकार
डॉ. सुधीर मिश्र कहते हैं कि तीनों सेनाओं की इस मिसाइल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए एक और उत्पादन सेंटर बनाने की योजना बनी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिलनाडु के साथ यूपी में डिफेंस कॉरिडोर बनाने की घोषणा 2018 में की थी।
ऐसे में लखनऊ को इस यूनिट की स्थापना के लिए चुना गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुबह मिलने बुलाया और तत्कालीन यूपीडा चेयरमैन अवनीश अवस्थी के साथ मुझे उत्पादन सेंटर की जमीन देखने को भेजा।
उत्पादन सेंटर के लिए 200 एकड़ भूमि हमने पसंद की। केवल तीन दिन में यह जमीन डीआरडीओ को 100 रुपये की लीज पर मिल गई। दिसंबर 2021 से काम शुरू हो गया।
मिलेगा रोजगार और जीएसटी
इस यूनिट के लिए अभी 100 इंजीनियरों की तैनाती की गई है। आने वाले समय में कुल 400 इंजीनियरों व कर्मचारियों को सीधा रोजगार मिलेगा। इस सेंटर से सप्लाई चेन वाली लोकल इंडस्ट्रीज जुड़ेंगी जिससे कई गुणा रोजगार बढ़ेगा। अभी 200 कंपनियां सीधे जुड़ी हुई हैं।
ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात इंडोनेशिया, वियतनाम, फिलीपींस, अफ्रीका जैसे कई देशों को होगा। फिलीपींस के 375 मिलियन डालर के आर्डर को पूरा करने में लखनऊ में तैयार मिसाइल को भी शामिल किया जाएगा।
इससे यूपी को जीएसटी भी अधिक मिलेगा। इस समय ब्रह्मोस एयरोस्पेस के एमडी व सीईओ डॉ. जयदीप जोशी इस मिसाइल के प्रोग्राम को आगे बढ़ा रहे हैं।