वहीं, रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस वे तथा गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे के एलाइनमेंट को अभी हाल में मंजूरी मिली है। मंजूरी के दस्तावेज अभी राज्य सरकार को नहीं मिले हैं। ऐसे में इस वर्ष काम शुरू किए जाने में परेशानी है। दस्तावेज मिलने के बाद काला का गठन किया जाएगा। इसके बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पर विधिवत काम आरंभ होगा।
इस वर्ष एक्सप्रेस-वे का काम आरंभ होने की उम्मीद नहीं
एक्सप्रेस-वे का काम इस वर्ष आरंभ होने की उम्मीद नहीं दिख रही। तय प्रविधान के अनुसार, जब तक संबंधित प्राेजेक्ट के लिए 80 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण नहीं हो जाता तब तक उक्त प्रोजेक्ट पर काम आरंभ नहीं हो सकता।
दस्तावेज आने के बाद उन जिलों में इसके लिए काला का गठन होगा जहां से दोनों एक्सप्रेस-वे गुजरेंगे। पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे काला का गठन हो चुका है पर 80 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण इतनी जल्दी कर लिए जाने में परेशानी है।
एक्सप्रेस-वे लिए जमीन अधिग्रहण की आवश्यकता
रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस-वे भी छह लेन में बनाया जाएगा। इसकी लंबाई 719 किमी है, जिसमें 367 किमी सड़क बिहार में बननी है।
इस प्रोजेक्ट के लिए पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ूी, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, लखीसराय, जमुई व बांका जिले में जमीन का अधिग्रहण किया जाना है।
वहीं, गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे की लंबाई 521 किमी है और इसमें 416 किमी सड़क का निर्माण बिहार में किया जाना है।
इस प्रोजेक्ट के लिए पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया व किशनगंज जिले में जमीन का अधिग्रहण किया जाना है।