रतलाम |
तीन बीघे में फैला तालाब… किनारे पर मंदिर और बड़ा सा पक्का चबूतरा… उसमें तालाब की ओर बनी हुईं सीढ़ियां…। आसपास चाय-पानी की कुछ दुकानें और चबूतरे पर बैठकर बतियाते युवा और बुजुर्ग। यह है मछलियों वाला गांव मध्य प्रदेश के रतलाम जिले का लसूड़िया जंगली। यहां रहने वाले बच्चे से बुजुर्ग तक करीब 1500 लोग मछलियों की सुरक्षा करते हैं।
मछलियों को दाना डालना उनकी दिनचर्या में है। अब दूर-दूर से लोग मछलियों को देखने और दाना डालने आने लगे हैं। इन्हीं मछलियों की वजह से गांव नया पर्यटन स्थल बनता जा रहा है।
रतलाम जिला मुख्यालय से करीब 55 किमी दूर लसूड़िया जंगली गांव के तालाब में 25 साल पहले एक कैटफिश किसी तरह आ गई। तभी से ग्रामीण इनकी देखरेख कर रहे हैं। न तालाब को गंदा करते हैं और न किसी को करने देते हैं। मछली मारने वाले पर 500 रुपए का जुर्माना और इसकी सूचना देने वाले को 1500 रु. इनाम देते हैं।
तालाब में 20 हजार से ज्यादा कैटफिश हैं
गांव के सरपंच मुरलीधर उपाध्याय ने बताया कि पंचायत ने तालाब के बीच में हाईमास्ट लाइट लगाई है, ताकि पूरे तालाब में रोशनी रहे। गर्मियों में पानी की कमी होने पर ट्यूबवेल से पानी भरने के लिए पाइप बिछाई गई है। इसमें 20 हजार से ज्यादा मछलियां हैं।