भोपाल,
चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा डॉ. अरुणा कुमार को डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन (DME) नियुक्त किए जाने के खिलाफ प्रदेशभर में जूनियर डॉक्टर्स और मेडिकल टीचर्स में आक्रोश है। शनिवार दोपहर 12 बजे राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल परिसर स्थित नई ब्लॉक 1 और 2 के बाहर बड़ी संख्या में डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन किया। गांधी मेडिकल कॉलेज से जुड़े जूनियर डॉक्टर्स, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (एमटीए) और सीनियर फैकल्टी सदस्यों ने हाथों में पोस्टर और बैनर लिए जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि डॉ. अरुणा कुमार की नियुक्ति तुरंत रद्द की जाए और इस पद पर निष्पक्ष व विवादमुक्त छवि के व्यक्ति को नियुक्त किया जाए।
डॉ. कुमार पर लगे गंभीर आरोप, आत्महत्या तक की नौबत
प्रदर्शन की घोषणा शुक्रवार रात को ही कर दी गई थी, जब एमटीए और जूडा (जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन) के प्रतिनिधियों ने प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल से मुलाकात कर अपनी आपत्तियां दर्ज कराई थीं। जूडा ने आरोप लगाया कि डॉ. अरुणा कुमार के पूर्व प्रशासनिक कार्यकाल में एक महिला जूनियर डॉक्टर ने मानसिक प्रताड़ना के चलते आत्महत्या जैसा कदम उठाया था। इसके अतिरिक्त, उनके व्यवहार के चलते कॉलेज परिसर में कई बार तनावपूर्ण स्थिति बनी। वरिष्ठ महिला चिकित्सकों ने तो एक समय सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी तक दे दी थी।
“व्यक्तिगत विरोध नहीं, कार्यशैली पर ऐतराज” भोपाल से जूडा अध्यक्ष डॉ. कुलदीप गुप्ता ने कहा, “हमारा विरोध व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि उनकी कार्यशैली और कार्यकाल के दौरान उत्पन्न विवादों को लेकर है। हम नहीं चाहते कि प्रदेश की चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था के शीर्ष पद पर कोई विवादित व्यक्ति बैठे।” उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में कई योग्य और स्वच्छ छवि वाले वरिष्ठ चिकित्सक हैं, जो इस पद के लिए अधिक उपयुक्त हैं।
जबलपुर, इंदौर से भी समर्थन
डॉ. अरुणा कुमार की नियुक्ति के खिलाफ जबलपुर के जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन – जूनियर डॉक्टर नेटवर्क मध्यप्रदेश और एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर की जूडा इकाई ने भी खुलकर आपत्ति जताई है। हमीदिया अस्पताल में हुए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में जूनियर डॉक्टर्स, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सदस्य और अन्य चिकित्सक शामिल हुए। एमटीए की ओर से डॉक्टर राकेश मालवीय ने नेतृत्व किया। प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन संदेश साफ था, चिकित्सा शिक्षा जैसे संवेदनशील विभाग में ऐसा व्यक्ति नहीं चलेगा, जिस पर गंभीर आरोप और विवाद हों।