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नई दिल्ली
गर्मी की शुरुआत होते ही आगजनी की घटनाएं बढ़ने लगती हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में आग लगने की घटनाओं में हर साल श्रमिकों की मौत होती है। अधिकतर हादसों में आग का कारण शॉर्ट सर्किट बताया जाता है, लेकिन बचाव के इंतजाम न होने के कारण जान और माल का नुकसान होता है। ऐसी ‘आग की फैक्ट्रियों’ की पहचान जरूरी है।
इसी को देखते हुए दैनिक जागरण औद्योगिक क्षेत्रों में आग से बचाव के उपायों को लेकर पड़ताल शुरू करने जा रहा है। इसमें प्रतिदिन एक औद्योगिक क्षेत्र की ग्राउंड रिपोर्ट दी जाएगी। राजधानी में 20 अधिकृत औद्योगिक क्षेत्र हैं। दिल्ली में फैक्ट्रियों में आग की सबसे बड़ी घटना दिसंबर 2019 में हुई थी। उत्तरी दिल्ली की अनाज मंडी में एक फैक्ट्री में आग लगने से 43 लोगों की मौत हो गई थी।
आग से बचाव के नहीं थे इंतजाम
इसके बाद औद्योगिक क्षेत्रों और फैक्ट्रियों में आग से बचाव को लेकर उपाय नहीं होने का मुद्दा उठा, लेकिन साल-साल दर हादसे होते रहे और हर बार यही कमी निकलकर सामने आई कि आग से बचाव के इंतजाम नहीं थे। इंतजाम नहीं होने से कई बार छोटी घटनाओं ने बड़ा स्वरूप ले लिया। यह समस्या अनियोजित औद्योगिक क्षेत्रों के साथ नियोजित क्षेत्रों में भी है।
आवंटित प्लाट पर तीन से चार फैक्ट्रियां बन चुकी
दरअसल, नियोजित औद्योगिक क्षेत्रों में पहले बड़े-बड़े प्लाट आवंटित किए गए थे। बाद में इनके मालिकों में बंटवारा हो गया और प्लाट छोटे होते गए। अब एक ही आवंटित प्लाट पर तीन से चार फैक्ट्रियां बन चुकी हैं। इन फैक्ट्रियों में प्रवेश और निकासी के लिए एक ही रास्ता रह गया है।
पिछले पांच सालों में फैक्ट्रियों में आग लगने की घटनाएं
जनवरी, 2020:
पटपड़गंज की फैक्ट्री में आग, 30 दमकल गाड़ियां लगीं। दो करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान। एक की मौत
मई, 2022:
बवाना औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री में आग, 17 दमकल गाड़ियां लगीं, 70 लाख रुपये का अनुमानित नुकसान
जून, 2022:
मंगोलपुरी औद्योगिक क्षेत्र फेज-1 में फैक्ट्री में आग, 26 दमकल गाड़ियां पहुंचीं, 1.5 करोड़ रुपये का नुकसान
सितंबर, 2023:
बवाना में फैक्ट्री में आग के साथ धमाका। दो की मौत, चार गंभीर रूप से घायल
फरवरी, 2024:
उत्तरी दिल्ली के अलीपुर में पेंट फैक्ट्री में आग में 11 लोगों की मौत
मई, 2024:
डीएसआइडीसी फेस 1 औद्योगिक क्षेत्र की बलदेव इंडस्ट्रीज (फैक्ट्री नंबर 103) में आग। 50 लाख रुपये से अधिक का नुकसान। एक की मौत
जून, 2024:
नरेला औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री में कंप्रेशर फटने से लगी आग। तीन श्रमिकों की मौत, छह घायल
दिसंबर, 2024: बवाना औद्योगिक क्षेत्र के सेक्टर-1 में फैक्ट्री में आग। 60 लाख रुपये का नुकसान
दिसंबर, 2024:
नजफगढ़ में फैक्ट्री में आग लगने से उसमें फंसकर चार लोग जख्मी हो गए
जनवरी, 2025:
जीटीबी एन्क्लेव इलाके में एक फैक्ट्री में आग लगने से पांच कर्मचारी फंसे, एक की मौत, चार को बचाया गया
औद्योगिक क्षेत्रों में क्यों होते हैं हादसे दिल्ली इंस्टीट्यूट आफ फायर इंजीनियरिंग के चेयरमैन वीरेंद्र गर्ग बताते हैं कि औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्रियों में छोटी-छोटी लापरवाही भारी पड़ती हैं। फैक्ट्रियों में जगह कम होने के कारण निकास द्वार पर भी सामान रख दिए जाते हैं। इससे निकलने का रास्ता नहीं बचता है। बिजली के मीटर के पास ज्वलनशील पदार्थ रख देते हैं। इससे आग तेजी से फैलती है। दमकल उपकरणों की समय-समय पर जांच नहीं होती है। ऐसे में जरूरत पड़ने पर ये काम नहीं करते हैं। सभी फैक्ट्रियों में दमकल विभाग की तरफ से निरंतर निगरानी होनी चाहिए। दमकल विभाग का एनओसी सभी के पास अनिवार्य होना चाहिए। तभी हादसों पर लगाम लग सकती है।