आगरा
लगातार बढ़ती गर्मी, उमस और धूप अपना असर दिखा रही है। दोपहर में हीट वेव और धूप के तीखेपन के कारण बाहर निकलना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसे विद्यार्थियों की परेशानी और अभिभावकों व शिक्षक संघों की मांग को देखते हुए जिला बेसिक शिक्षाधिकारी ने जिले के स्कूलों का समय परिवर्तित करते हुए उन्हें सुबह सात से दोपहर 12 बजे तक संचालित करने के निर्देश दिए हैं। इस निर्णय से बच्चों के साथ अभिभावकों को भी राहत मिली है।
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी जितेंद्र कुमार गोंड ने सभी परिषदीय सहित अन्य बोर्ड के स्कूलों के प्रधानाध्यापकों, प्रबंधकों को निर्देश दिए हैं कि बढ़ती गर्मी, हीट वेव और विद्यार्थियों के स्वास्थ्य की देखभाल को देखते हुए स्कूलों के संचालन का समय सुबह सात से दोपहर 12 बजे तक किया जा रहा है। आदेश अग्रिम आदेश तक लागू रहेगा। इसके साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग के नियंत्रण वाले सभी शैक्षिक संस्थानों में छाया व पेयजल की समुचित व्यवस्था की जाएगी।
गर्मी को देखते हुए सुनिश्चित किया जाएगा कि विद्यार्थियों को आउटडोर शारीरिक क्रियाकलाप आदि न कराए जाएं। इस पर नजर रखने की जिम्मेदारी सभी खंड शिक्षाधिकारियों को सौंपी गई है।
शिक्षक संघ उठा रहे थे मांग
यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) महामंत्री राजीव वर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों के स्वास्थ्य और गर्मी की स्थिति को देखते हुए संगठन लगातार मांग कर रहा था। ज्ञापन भी सौंपा गया था। निर्णय समय के अनुसार सही है। प्राथमिक शिक्षक संघ महामंत्री बृजेश दीक्षित का कहना है कि जिले के कई विद्यालयों में विद्युत कनेक्शन नहीं हैं, तो कई स्थानों पर विद्युतापूर्ति प्रभावित रहती है। ऐसे विद्यालयों में विद्युत व्यवस्था सुचारू कराई जाए।
भीषण गर्मी से बचाव को नगर निगम पशु पक्षियों के लिए रख रहा जलकुंड
भीषण गर्मी, बढ़ते तापमान और लू के कारण आम लोगों के साथ ही पशु, पक्षियों के लिए नगर निगम व्यवस्था कर रहा है। हीटवेव एक्शन प्लान के तहत पशु-पक्षियों के लिए जलकुंड रखवा रहा है। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं से सहयोग लिया जा रहा है। वहीं, पशु-पक्षी प्रेमियों को इन कुंड, सीमेंटिंड, मिट्टी के बर्तनों में पानी भरने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।
समाज की नैतिक जिम्मेदारी को भी पूरा करेगा
नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डा. अजय सिंह ने बताया, हर वर्ष गर्मी के मौसम में बड़ी संख्या में पशु और पक्षी पानी की कमी के कारण दम तोड़ देते हैं। यह अभियान न केवल उनके लिए राहत है, बल्कि समाज की नैतिक जिम्मेदारी को भी पूरा करेगा। इसमें उन स्थानों को प्राथमिकता दी जा रही है, जहां पशु-पक्षियों की आवाजाही अधिक होती है। इसमें मंदिर परिसर, सार्वजनिक पार्क, बाजार क्षेत्र, गोशालाएं और पुराने मोहल्ले सहित अन्य क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है।