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वाराणसी
बीएचयू (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) में पिछले तीन वर्षों में शोध और नए अविष्कारों मेें वृद्धि हुई है। वर्ष 2022 से 2025 तक संकाय सदस्यों की ओर से सौ से अधिक पेटेंट आवेदन किए गए। करीब 56 पेटेंट दाखिल हुए, इसमें 22 पेटेंट को मंजूरी मिल गई। जबकि वर्ष 2017 से 2021 तक सिर्फ 14 पेटेंट ही दायर हुए थे और 11 पेटेंट को ही मंजूरी मिल सकी।
पिछले तीन वर्षों में अधिकांश पेटेंट विज्ञान संस्थान की ओर से दाखिल किए गए जबकि चिकित्सा विज्ञान संस्थान और कृषि विज्ञान संस्थान क्रमश: दूसरे व तीसरे स्थान पर रहा। बता दें कि विवि में बौद्धिक संपदा (आइपी) को पेटेंट, कापीराइट या ट्रेडमार्क कानूनों के तहत संरक्षित किया जा रहा है।
वर्ष 2023 में आइपीआर सेल को पुनर्गठित किया गया और बौद्धिक संपदा अधिकार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (आइपीआरटीटी) सेल नाम मिला। समन्वयक प्रो. बिरिंची कुमार सरमा ने बताया कि आइपीआरटीटी सेल पेटेंट योग्यता के लिए आविष्कार का मूल्यांकन करता है और आविष्कारक को पेटेंट दाखिल करने और बनाए रखने में सहायता करता है।
सेल प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और लाइसेंसिंग के लिए आविष्कारकों और उद्योग भागीदारों के बीच सेतु का काम भी करता है। नवाचारों को बढ़ावा दिया जाता है और व्यापक सार्वजनिक हित के लिए प्रौद्योगिकियों के व्यावसायीकरण के लिए उद्योग भागीदारों को आकर्षित करता है।
ऑनलाइन-ऑफलाइन कार्यशालाओं में शामिल हुए छह सौ से अधिक संकाय सदस्य
पिछले दो वर्षों में आविष्कारकों के बीच अपने नवाचारों को दाखिल करने और उनकी सुरक्षा के लिए जागरूकता पैदा की गई। एक आनलाइन और दो आफलाइन कार्यशालाएं हुईं, जिनमें 600 से अधिक संकाय सदस्यों और शोध विद्वानों ने हिस्सा लिया।
देश के पेटेंट, डिजाइन और ट्रेडमार्क के महानियंत्रक प्रो. उन्नत पी पंडित, टीआइएफएसी नई दिल्ली में आइपी के प्रमुख डिवीजन डा. यशवंत देव पंवार और कोलकाता में भारतीय पेटेंट कार्यालय के उप नियंत्रक डा. शरण गौड़ा शामिल हुए थे, कई कार्यशालाएं हुईं। विवि में पेटेंट दाखिल करने में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।