खंडपीठ ने कहा, ‘यह ध्यान में रखते हुए कि अपराध की जघन्य प्रकृति मुकदमे में विधिवत साबित हो चुकी है, आरोपित अपीलकर्ता को सजा के सवाल पर कोई दया या नरमी नहीं मिलनी चाहिए। दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि वह मुश्किल से चार साल तक ही जेल में रहा और उसे इस अपील के लंबित रहने के दौरान जमानत पर रिहा कर दिया गया। उसे शेष सजा काटनी होगी। यह जघन्य घटना 5/6 अप्रैल 1979 को बार थाना क्षेत्र में हुई थी।
वर्तमान अपील अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश की तरफ से 23 अप्रैल, 1983 को पारित निर्णय एवं दोषसिद्धि आदेश के विरुद्ध दायर की गई थी। दो महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था। एक महिला की बाद में चोटों की वजह से मौत हो गई थी। खंडपीठ ने इस मामले में अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित अधिवक्ता (न्यायमित्र) सत्य प्रकाश को बहुमूल्य सहयोग देने के लिए उन्हें नियमानुसार 25 हजार रुपये भुगतान का भी आदेश दिया है।