एडवोकेट नरेंद्र मान एक जानेमाने वकील हैं। उनके व्यापक कानूनी अनुभव और आपराधिक मामलों में दक्षता के आधार पर उन्हें 26/11 मुंबई आतंकी हमला केस में चुना गया है। उनकी नियुक्ति से यह उम्मीद जताई जा रही है कि मामले में अभियोजन पक्ष और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत होगा। तहव्वुर राणा के खिलाफ पेश सबूत से पाकिस्तान का भी चेहरा बेनकाब हो सकता है।
भारत सरकार के आदेश पर 11 नवंबर 2009 को एनआईए ने दिल्ली में केस RC-04/2009/NIA/DLI दर्ज किया था। यह केस इंडियन पीनल कोड की धारा 121A, यूएपीए एक्ट की धारा 18 और सार्क कन्वेंशन (टेररिज्म की रोकथाम) एक्ट की धारा 6(2) के तहत दर्ज किया गया था। इसमें डेविड कोलमैन हेडली और तहव्वुर राणा को मुख्य आरोपी बनाया गया।
एनआईए के मुताबिक, राणा और हेडली को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। दोनों पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को सहयोग देने और भारत में आतंकी हमले की साजिश रचने का आरोप है। मुंबई हमले में 174 से अधिक लोग मारे गए थे। एनआईए ने अमेरिका को दोनों की प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध भेजा था। पाकिस्तान को भी एक लेटर रोगेटरी भेजा गया, जिसका अब तक जवाब नहीं मिला है।
अदालत में चार्जशीट दाखिल
एनआईए ने इस केस में 24 दिसंबर 2011 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में सभी 9 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। आरोपियों पर आईपीसी की कई धाराओं (120B, 121, 121A, 302, 468, 471) और यूएपीए एक्ट की धाराओं (16, 18, 20) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
चंद घंटों में भारत में होगा तहव्वुर राणा
मुंबई हमलों का मास्टमाइंड तहव्वुर राणा को भारत लाया जा रहा है और वो चंद घंटों में भारत की धरती पर होगा। दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने के बाद से ही तमाम तरह की कानूनी प्रक्रियाएं शुरू की जांएगी, जिसके तहत 26/11 हमले में मारे गए लोगों और उनके परिजनों को इंसाफ दिलाया जा सके।