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नई दिल्ली
कोरोना महामारी के बाद दिल्ली में प्रति वर्ष कुल वाहनों का पंजीकरण जहां लगातार बढ़ रहा है, वहीं वित्त वर्ष 2024-25 में इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण गिर गया है।
पिछले एक साल के आंकड़े सामने आए हैं जिसमें पता चल रहा है कि पिछले एक साल में एक भी माह ऐसा नहीं रहा जब इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण संतोषजनक रहा हो। जबकि पूर्व की आप सरकार दावा कर रही थी कि इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण बढ़ रहा है।
अगर 2023 से ही तुलना करें तो 2024 में 18687 वाहन कम पंजीकृत हुए हैं। यह उस स्थिति में अंतर की एक बहुत बड़ी संख्या है जब दिल्ली काे ईवी की राजधानी बनाने के दावे किए जा रहे थे।
11% से आगे नहीं बढ़ सका इलेक्ट्रिक वाहनों का आंकड़ा
ऐसा नहीं है कि वित्तीय वर्ष 2024 में दिल्ली में कुल पंजीकृत हुए वाहनों की संख्या कम हुई है। सभी ईंधन के वाहनों की तुलना करें तो 2023 की अपेक्षा 2024 में 50,672 वाहन अधिक पंजीकृत हुए हैं। पूर्व में जाएं तो एक समय में दिल्ली की आप सरकार ने अगस्त 2020 में नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति लागू करते समय यह दावा किया था कि 2025 में दिल्ली में कुल वाहनों में 25 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन शामिल होंगे।
यहां गौरतलब यह भी है कि आप सरकार इस दावे को अंतिम समय यानी 2024 तक भी यही कहती रही कि जल्द ही यह आंकड़ा पूरा होने वाला है, जबकि ऐसा हो नहीं रहा था। दिल्ली में बहुत प्रयास के बाद भी इलेक्ट्रिक वाहनों का आंकड़ा 11% से आगे नहीं बढ़ सका।
पिछले साल वाहनों पर नहीं मिली सब्सिडी
अधिकारी सूत्रों की मानें ताे इलेक्ट्रिक वाहन नीति को लेकर सरकार की उदासीनता भी एक बड़ा कारण रही, यहां तक कि पिछले सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों काे बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए और 2024 में उस सब्सिडी को भी नहीं दिया गया जो दुपहिया, तिपहिया और ई रिक्शा पर दी जा रही थी।
ऐसे में दिल्ली में भी इलेक्ट्रिक वाहन फिर से महंगे पड़ने लगे। वर्तमान भाजपा सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर जल्द रियारत देने का आश्वासन दिया है। जिसमें सब्सिडी शुरू करने की योजना शामिल हो सकती है। जिसमें केवल दो पहिया ही नहीं इलेक्ट्रिक कारों आदि पर भी बड़ी छूट मिल सकती है। ऐसे में कहा जा रहा है कि जल्द इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर लोगों में क्रेज बढ़ेगा।