उनके भतीजे का साला अनिल कुतुब विहार में रहता है और अक्सर उनकी दुकान पर मदद के लिए आता रहता है। उनकी दुकान पर अशोक पाल नामक आदमी सामान लेने आता था। अशोक पाल ने बताया कि वह दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में नौकरी करता है। उसकी ड्यूटी, अस्पताल के सुपरिटेंडेट के पास है।

‘सुपरिंटेंडेंट के साथ है अच्छी जान-पहचान’

अस्पताल में जब भी कोई नौकरी निकलती है चाहे प्राइवेट, या अनुबंध पर, वह लगवा सकता है। उनकी सुपरिंटेंडेंट के साथ अच्छी जान-पहचान हो गई है। उसने कहा कि अगर कोई जानकार बेरोजगार हो तो वह सुपरिंटेंडेंट से कहकर नौकरी लगवा देगा। इसके लिए सिक्योरिटी डिपोजिट करवाना होगा। वो डिपोजिट भी दो वर्ष बाद वापस मिल जाएगा।

किस पद पर नौकरी का किया था वादा?

अनुबंध पर नौकरी है शायद बाद में पक्की भी हो जाए। इस दौरान गजेंद्र ने अशोक पाल को मना कर दिया। अशोक पाल रोज नई-नई कहानी बताने लगा। अशोक पाल ने एक दिन बताया कि अस्पताल में कंप्यूटर ऑपरेटर और एंबुलेंस ड्राइवर की नौकरी निकली है। किसी जानकार की लगवानी हो तो बता देना।
उन्होंने अपनी पुत्रवधु को नौकरी कंप्यूटर ऑपरेटर व भतीजे के साले अनिल के लिए एंबुलेंस ड्राइवर की नौकरी लगवाने को कहा। इसके बाद उसने दोनों के दस्तावेज मांगे और दोनों के लिए साढ़े तीन लाख रुपये बतौर डिपोजिट मांगे। सितंबर 2023 में उन्होंने अशोक पाल को करीब चार लाख रुपये दे दिए। इसके बाद वह दावे करता रहा कि नौकरी लग जाएगी।
बाद में वह रिश्तेदारों के मरने के बहाने बनाने लगा और दुकान पर आना बंद कर दिया। जब शिकायतकर्ता अशोकपाल के घर गया तो पता चला कि अशोक पाल किसी भी अस्पताल में नौकरी नहीं करता बल्कि वह एक ठग है। अक्सर लोगों से नौकरी के नाम पर पैसा ले लेता है। लोगों का आना जाना इसके घर पर लगा रहता है। इसने काफी लोगों से ठगी की हुई है।