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नई दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इस साल गर्मी तो रिकॉर्ड बनाने ही लगी है, पहली तिमाही में प्रदूषण भी कहीं अधिक रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़े इसकी स्पष्ट तौर पर तस्दीक करते हैं। इस बार साल की पहली तिमाही में प्रदूषक कण पीएम 10 का स्तर छह वर्ष और पीएम 2.5 का स्तर सात वर्षों में सबसे ज्यादा है।
अधिक प्रदूषित रही साल की पहली तिमाही
जनवरी से मार्च तक प्रदूषण के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता चलता है कि पहले के वर्षों की तुलना में इस बार प्रदूषण का स्तर ज्यादा रहा है।
इन तीनों महीनों में पीएम 10 का औसत स्तर 214.62 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा है, जो वर्ष 2019 के बाद सबसे ज्यादा है। 2019 की पहली तिमाही में पीएम 10 का औसत स्तर 217.87 पर रहा था।
पश्चिमी विक्षोभों का दिखा असर
इसी प्रकार, इस बार पीएम 2.5 का औसत स्तर 110.88 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जो वर्ष 2018 के बाद सबसे ज्यादा है। वर्ष 2018 में यह 114.30 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रहा था। सीपीसीबी के पूर्व अपर निदेशक डॉ. दीपांकर साहा बताते हैं कि दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में आमतौर पर सक्रिय पश्चिमी विक्षोभों के असर से सर्दी में भी नियमित अंतराल पर बूंदाबांदी या हल्की बरसात होती रही है।
इससे हवा में मौजूद प्रदूषक कण काफी हद तक साफ हो जाते हैं, लेकिन इस बार सक्रिय और मजबूत पश्चिमी विक्षोभ कम आए। जनवरी से मार्च तक वर्षा भी सामान्य से क्रमशः 65, 93 और 90 प्रतिशत तक कम हुई है। इसीलिए प्रदूषण का स्तर भी सामान्य से ज्यादा देखने को मिल रहा है।