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दक्षिणी दिल्ली
साकेत स्थित सत्र न्यायालय ने दुष्कर्म मामले में एक व्यक्ति को बरी कर दिया। साथ ही फर्जी मामला दर्ज कराने वाली महिला के खिलाफ झूठी गवाही की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनुज अग्रवाल ने कहा कि प्रतिष्ठा बनाने में पूरा जीवन लग जाता है, लेकिन कुछ झूठ इसे नष्ट कर सकते हैं।
आरोपित व्यक्ति के खिलाफ 23-24 नवंबर 2019 की रात को एक होटल में शिकायतकर्ता के साथ दुष्कर्म करने का आरोप था। अदालत ने आरोपित को बरी करते हुए चार अप्रैल को अपने फैसले में कहा कि रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि शिकायतकर्ता महिला ने अदालत के समक्ष गलत बयान दिया और दुष्कर्म की झूठी कहानी गढ़ी।
कोर्ट ने कहा कि महिला ने अतीत में अलग-अलग व्यक्तियों के खिलाफ दुष्कर्म और छेड़छाड़ के ऐसे ही छह मामले दर्ज कराए थे। दिल्ली पुलिस के अनुसार महिला छेड़छाड़ की झूठी शिकायत करने की आदी थी। कोर्ट ने कहा कि महिला के बयानों में विरोधाभास था।
‘प्रतिष्ठा बनाने में पूरा जीवन लग जाता है’
जज ने कहा कि केवल बरी कर देने से व्यक्ति के पीड़ा की भरपाई नहीं हो सकती, जिसे झूठे मामले के आधार पर दुष्कर्म और आपराधिक धमकी के जघन्य अपराध के लिए मुकदमे के आघात से गुजरना पड़ा। जज ने महिला के खिलाफ झूठी गवाही की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देते हुए कहा, ‘प्रतिष्ठा बनाने में पूरा जीवन लग जाता है, लेकिन इसे नष्ट करने के लिए कुछ झूठ ही काफी होते हैं।’